लहसुन की खेती / Garlic Cultivation / Lahsun ki Kheti : लहसुन की खेती (Garlic Farming) एक नगदी फसल के रूप में जानी जाती है जो पुरे देश में उगाई जाती है. यदि लहसुन की खेती सही तरीके से की जाये तो किसान इससे इस अच्छी कमाई कर सकते है. आमतौर पर किसान इस खेती के बारे में बात करते है कि लहसुन की खेती (farming of garlic) मुनाफे का धंधा नहीं है, लें यह बात पूरी तरह सच नहीं है. तो चलिए जानते है लहसुन की खेती वैज्ञानिक तरीके कैसे करें?. लहसुन की खेती करने के साथ-साथ Lahsun Tel ke Fayde की जानकारी प्राप्त कर सकते है.
करें

लहसुन की खेती कैसे करें ? – Lahsun ki kheti in Hindi
लहसुन (Garlic) में एलसिन नामक तत्व पाया जाता है जिसकी वजह से लहसुन में एक खास गंध एवं तीखा स्वाद होता है. लहसुन (Garlic) का सेवन औषधि रूप में सेवन किया जाता है जिसका इस्तेमाल अपच, फेफड़ों की बीमारियों, रक्तचाप, कैंसर व गठिया की बीमारी, नपुंसकता तथा खून की बीमारी, दमा आदि में होता है. लहसुन का उपयोग आचार, चटनी,मसाले तथा सब्जियों में किया जाता है. लहसुन की खेती करने के साथ आप Lahsun Ke Fayde की जानकारी प्राप्त कर सकते है. इसके अलावा आप Tamatar ki Kheti, Bhindi Ki Kheti, Kaddu ki Kheti, Patta Gobhi ki Kheti, Adrak ki Kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
लहसुन की खेती की पूरी जानकारी – Garlic Farming in Hindi
जलवायु
लहसुन की खेती (farming of garlic) करने के लिए न अधिक गर्मी और न ही अधिक शर्दी का मौसम हो. इसलिए अक्टूबर लहसुन की फसल (garlic crop) के लिए उत्तम मना गया गया है. मौसम में लहसुन के कांडों का विकास वेहतर होता है.
मिट्टी का चयन
- लहसुन की खेती (Garlic Farming) के लिए बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी वाली भूमि का चुनाव करें.
- लहसुन की फसल के लिए मिट्टी का पी.एच मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए.
- जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
खेत की तैयारी
- लहसुन की खेती (Garlic Crop Cultivation) के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल से करें. जिससे भूमि में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जाए.
- लहसुन की खेती (Lahsun ki kheti) के लिए खेत में 5 से 6 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा
प्रति एकड़ दर से डालें. - खाद डालने के बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें.
- इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की 2 बार आडी-तिरछी गहरी जुताई कर खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें
- लहसुन की बुवाई के लिए खेत तैयार है.
लहसुन की बुआई का समय
रबी के मौसम
बुआई का समय: 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच
फसल अवधि: 150 से 200 दिन
खरीफ के मौसम
बुआई का समय: 1 मार्च से 30 अप्रैल के बीच
फसल अवधि: 150 से 200 दिन
लहसुन की उन्नत किस्में ( Improved Varieties of Garlic)
- Yamuna Safed 5:- यह वैरायटी 150-160 दिनों तैयार हो जाती है. इस वैरायटी की औसतन उपज 68-72 क्विंटल प्रति एकड़ ली जा सकती है.
- YG.H.C-1:- यह वैरायटी अन्य किस्मों की अपेक्षा अधिक उत्पादन देती है. यह 150 से 160 दिन में तैयार होने वाली सुगंधित वैरायटी है, इसकी कालिया बड़ी होती जिनका छिल्का आसानी से उतर जाता है. इसकी औसतन उपज 84-105 क्विंटल प्रति एकड़ होती है.
- एग्रीफाउण्ड पार्वती (जी -313):- इस वैरायटी को पहाड़ी क्षेत्र में अधिक उगाया जाता है. इसकी कालिया हल्के सफेद और बैंगनी मिश्रित रंग की होती है जिनके शल्क कंद का व्यास 5 से 7 सेमी होता है. इसके शल्ककंद में 10 से 15 कलियां होती है. जिसका वजन 4 से 4.5 ग्राम तक होता है. यह वैरायटी 250 से 270 दिनों में तैयार हो जाती है जिसका औसतन उत्पादन 175 से 225 क्विंटल प्रति हेक्टयर है.
- Yamuna Safed (G-1): इस प्रजाति की शल्ककंद सख्त और सफेद होती हैं जो 150 से 160 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी प्रत्येक गांठ में 25-30 कलियां होती हैं.
- पंजाब लहसुन – इस प्रजाति की गांठ तथा जवा उजले रंग की होता है. इस औसतन ऊपज क्षमता 90 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है
- जमुना सफेद-2 (जी. 50) – इस प्रजाति को तैयार होने में 160-170 दिन लगते है. इसक औसतन उपज 130 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसकी गांठ में 18 से 20 कलियाँ होती है तथा गांठ ठोस और उजले रंग की होती है
लहसुन अन्य प्रजातियां –
एग्रीफाउण्ड पार्वती ( जी -313 ) , टी – 56-4, गोदावरी अवधि, भीमा पर्पल, यमुना सफेद -3 ( G – 282 ), एग्रोफाउण्ड सफेद, जामुना सफेद (जी-1)
लहसुन के बीज की मात्रा
लहसुन की एक एकड़ खेती के लिए 200-250 किलोग्राम गांठों की जरुआत होती है.
लहसुन के बीज उपचार
लहसुन की बुवाई से पहले कलियों को कान्जानि 2 ग्राम + थिरन 2 ग्राम प्रति किलोग्नाम गांठो को उपचारित कर ले.
बुआई का तरीका
लहसुन की बुवाई के समय पीधे से पौधे की दूरी 7.5 सेमी और पंक्ति से पक्ति की दूरी 15 सेमी रखें
उर्वरक व खाद प्रबंधन
लहसुन की बुवाई से पहले खेत में 5 से 6 टन गोबर की खद , 10 किलोग्राम का पुरन 2.5 किलोग्राम दिकोडेर्मा 25 किलोग्नाम ही एपी , 20 किलोग्राम बारेया , 50 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से डालें.
- बुवाई के 10 से 15 दिनों बाद 10 ग्राम NPK 19:19 19 को 1 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.
- बुवाई के 35 से 40 दिनों बाद 3.5 किलोग्राम यूरिया को प्रति एकड़ के हिसाब खेत में डालें
- बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद 1 किलो एन.पी.के. 00.52 : 34 और 300 मिली इपको सागरिका को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से डालें
- बुवाई के 60 से 70 दिनों बाद 35 किलोग्राम यूरिया को प्रति एकड़ के हिसाब से डालें
- बुवाई के 70 से 75 दिनों बाद 1 किलो N.PK. 00.00.50 21 150 लीटर में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें
लहसुन की सिंचाई (Garlic Crop Irrigation)
लहसुन में पहली सिचाई (Garlic Irrigation) 8 से 10 दिन के बाद करनी चाहिए तथा अन्य सिंचाई को 10 से 15 दिन के अंतर पर आवश्यकतानुसार करें.
लहसुन की निराई गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण
लहसुन की खुदाई कैसे करें ? – How to Harvest Garlic
लहसुन की खुदाई बुआई के 145-150 दिनों बाद या जब पत्ते पीले पढ़ के सूखने लगे तब लहसुन खुदाई (dig garlic) कर लेनी चाहिए.
अगर आपको lahsun ki kheti (garlic farming in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.
Leave a Reply