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कृषि दिशा / Fruit Cultivation / खरबूजे की खेती, कब और कैसे करें | Muskmelon Cultivation in Hindi

खरबूजे की खेती, कब और कैसे करें | Muskmelon Cultivation in Hindi

By: Krishi Disha | Updated at:29 November, 2022 google newsKD Facebook

खरबूजे की खेती / Muskmelon Farming / kharbuja ki kheti : खरबूजा की खेती / Melon Cultivation लगभग भारत के सभी राज्यों में की जाती है. लेकिन खरबूजे की खेती उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार और मध्य प्रदेश आदि इसके प्रमुख उत्पादक राज्य है. यदि खरबूजे की खेती (Melon Farming) वैज्ञानिक तरीके और बड़े पैमाने पर की जाये तो इससे अच्छी कमाई की जा सकती है. तो चलिए जानते खरबूजे की खेती कब और कैसे करें? खरबूजे की खेती करने के साथ आप kharbuje ke beej ke Fayde और Kharbuja ke Fayde की जानकारी प्राप्त कर सकते है.

Muskmelon Farming
खरबूजे की खेती (kharbuja ki kheti) कब और कैसे करें

खरबूजे की खेती – kharbuja ki kheti ?

खरबूजे गर्मियों का स्वादिस्ट फल है. खरबूजे में विटामिन ए और विटामिन सी उचित मात्रा में पाई जाती है. इसके आवला इसमें 90% पानी और 9% कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है. जो शरीर के बहुत लाभदायक होता है. इसके अलावा आप Torai ki kheti, Sahjan ki kheti, Arbi ki Kheti, Curry Patta ki Kheti , Tarbooj ki Kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.

खरबूजे की खेती की पूरी जानकारी – Muskmelon Farming in Hindi

अनुकूल जलवायु

खरबूजे की खेती (kharbuja ki kheti) को गर्म और शुष्क जलवायु की खेती मना गया है. बीज अंकुरण के लिए 25 डिग्री तापमान और पौधों के अच्छे विकास के लिए 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. लगातार बारिश और अधिक ठण्ड इस फसल के लिए हानिकारक होती है. लेकिन अब टनल बनाकर ठण्ड में भी इसकी खेती की जा सकती है.

भूमि का चयन

वैसे तो खरबूजे की खेती (Cultivation of Melon) सभी प्रकार की मिट्टी में हो जाती है. लेकिन अच्छी जल निकासी, कार्बनिक पदार्थ से भरपूर, और 6.5-7.5 पी.एच.मान वाली हल्की रेतीली बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है.

खेत की तैयारी 

  • खरबूजे की खेती (Muskmelon Cultivation) के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने हाल कर खेत को खुला छोड़ दें ताकि खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे.
  • खेत तैयार करते समय 200 से 250 टन सड़ी हुई गोबर की खाद को प्रति हैक्टर के हिसाब से खेत में डालें.
  • खाद डालने के बाद खेत की एक बार फिर जुताई करे.
  • इसके बाद खेत में नमी बनाये रखने के लिए पलेवा कर दें.
  • इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई कर खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल कर लें.
  • आखिरी जुताई के समय 60KG फास्फोरस, 40KG पोटाश और 30KG नाइट्रोजन की मात्रा को प्रति हेक्टेयर दर से डालकर खेत में 5 से 6 फ़ीट की
  • दूरी रखते हुए नालीनुमा लम्बी क्यारियों को तैयार करें.
  • इस तरह खरबूज की खेती (kharbuja ki kheti) के लिए खेत तैयार हो जायेगा.

बुवाई का समय

उत्तरी भारत खरबूजे की विजाई फरवरी के मध्य में की जाती है जबकि उत्तरी पूर्वी और पश्चिमी भारत में खरबूजे की बिजाई नवंबर से जनवरी में की जाती है.

खरबूजे की उन्नत किस्में (Improved varieties of melon)

पंजाब सुनहरी :-

खरबूजे इस वैरायटी को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना ने विकसित किया है. इस वैरायटी को तैयार होने में 115 दिन से अधिक समय लगता है. इस फसल के पैदावार 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
तक हो जाती है.
हिसार मधुर :-

चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने इस वैरायटी को विकसित किया है. इस वैरायटी के फलों का छिलका धारीनुमा और अधिक पतला हो जाता है और इसका गुदा नारंगी रंग का होता है. इस वैरायटी से 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन लिया जा सकता है.

एम.एच.वाई. 3 :-

इस वैरायटी को कृषि अनुसंधान केंद्र दुर्गापुरा और पूसा मधुरस के संकरण से विकसित किया गया है. यह वैरायटी रोपाई के 90 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इस वैरायटी से 200 क्विंटल तक का उत्पादन लिया जा सकता है.

मृदुला :-

इस वैरायटी को तैयार होने में करीब 90 दिन से अधिक का समय लगता है. इस वैरायटी का फल थोड़ा लम्बा और अंडाकार का होता है.इस वैरायटी 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार ली जा सकती है.

पूसा शरबती :-

इस वैरायटी को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने अमेरिकन वैरायटी के साथ संकरण करा कर विकसित किया है. इस वैरायटी को उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश आदि राज्यों में उगाया जाता है. इस वैरायटी को तैयार होने में 95 से 100 दिन तक का समय लग जाता है. इस वैरायटी से 250 क्विंटल का उत्पादन लिया जा सकता है.

खरबूजे की अन्य प्रजातियां

सागर 60 एफ 1, अर्का राजहंस, हरा मधु, दुर्गापुरा मधु, एम- 4, स्वर्ण, एम. एच. 10, हिसार मधुर सोना, नरेंद्र खरबूजा 1, एम एच 51, पूसा मधुरस, अर्को जीत, पंजाब हाइब्रिड, पंजाब एम. 3, आर. एन. 50, एम. एच. वाई. 5 और पूसा रसराज आदि

खरबूजे के बीज की मात्रा

अच्छा हाइब्रिड खरबूजे का बीज 1 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यकता होती है.

खरबूजे के बीज का उपचार कैसे करें

खरबूजे के बीज की अंकुरण क्षमता बढ़ाने के लिए बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना चाहिए. लेकिन बुवाई के लिए हाइब्रिड बीज (hybrid seed) को उपचारित करने की कोई आवश्यकता नहीं है बीज की सीधे बुवाई कर सकते है. यदि बीज घर पर बनाया है तो बीज को उपचारित करने की आवश्यकता होती है

खरबूजे के बीज को बुवाई से पहले कैप्टान या थिराम या कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम से प्रति किलो बीज की दर से बीज को उपचारित करें.

खरबूजे के बीजों की बुवाई का तरीका (Method of sowing melon seeds)

खरबूजे की खेती (melon cultivation) बीज बुवाई और पौध दोनों तरीकों से की जा सकती है.खरबूजे की बुवाई (watermelon Sowing) के लिए 5 से 6 फ़ीट की दूरी रखते हुए 40 से 50 सेंटीमीटर चौड़ी नालीनुमा लम्बी क्यारियों को तैयार करें. इसके बाद नालियों के दोनों किनारों पर करीब 2 से 3 फ़ीट की दूरी पर 1.5 CM की गहराई में बीज की बुवाई करें.

तरबूज की बुवाई बेड पर कैसे करें ? (How to sow watermelon on beds?)

  • बैड से बेड की दूरी = 5 से 6 फ़ीट या 1.5 या 2.0 मीटर
  • बीज से बीज की दूरी = 1 से 1.5 फ़ीट
  • बीज की गहराई = 1.5 से 2.0 सेंटीमीटर
  • मल्चिंग पेपर = 25 माइक्रोन
  • सिचाई ले लिए ड्रिप लाइन बिछा दें

खरबूजे की नर्सरी कैसे तैयार करें (How to prepare melon nursery)

खरबूजे की नर्सरी (Melon Nursery) तैयार करने के लिए आपके पास 200 गेज, 10 सेमी व्यास और 15 सेमी ऊंचाई आकार के पॉलीथीन बैग या प्रोट्रैस होनी चाहिए. नर्सरी के लिए 98 कोशिकाओं वाले प्रोट्रेज़ का उपयोग करें. खरबूजे की नर्सरी तैयार करने के लिए कोको पीट, वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद, परलाइट को उचित मात्रा में मिश्रण बनाकर प्रोट्रैस में बीज की बुवाई कर दें.

खरबूजे की सिंचाई (Melon irrigation)

अगर अपने बीजों की सीधे बुबाई की है तो बुवाई के तुरंत बाद खेत की सिचाई करें. फिर आवश्यकतानुसार खेत की बुवाई करे.
ड्रिप सिंचाई – यदि आपने बैड पर रोपाई की है तो आपको सिचाई ड्रिप सिस्टम से करनी चाहिए. ड्रिप सिस्टम से पौधों का विकास अच्छा और खाद भी आसानी से लग जाते है.

खरपतवार नियन्त्रण (weed control on Muskmelon Crop)

फसल की सिचाई के बाद खरपतवार दिखाई देने लगते है. इन पर नियन्त्रण रखना आवश्यक है. खरपतवार नियन्त्रण के लिए खरबूजे की फसल में 2 या 3 निकाई-गुड़ाई करनी चाहिए

खरबूजे की फसल में लगने वाले कीट व रोग एवं उपचार (Melon Plant Diseases and Treatment)

चेपा और थ्रिप्स, पत्ते का सुरंगी कीड़ा, फल की मक्खी, पत्तों के ऊपर की तरफ सफेद धब्बे, अचानक सूखा, एंथ्राक्नोस, पत्तों के निचली तरफ धब्बे आदि कीट व रोग का प्रकोप रहता है. इनसे बचाव के लिए आप अपने कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से रासायनिक दवाइयों (chemical drugs) का इस्तेमाल करें.

खरबूजे की तुड़ाई (Muskmelon Harvest)

खरबूजे की तुड़ाई (muskmelon harvest time) उसकी वैरायटी पर निर्भर करती है. वैसे खरबूजे के फल रोपाई के 80 से 90 दिन बाद तोड़ने को तैयार हो जाते है. यदि खरबूजे का फल 80-90% पक जाते है तो उनको तोड़कर लेना चाहिए. फलों की ग्रेडिंग करने के बाद उनको बाजार में बेचने के लिए बेज देना चाहिए.

खरबूजे से पैदावार (Muskmelon Crop Yield )

खरबूजे की पैदावार (melon Yield) उसकी वैरायटी पर निर्भर करती है सामन्यतः इसकी फसल से 200 से 250 किवंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.

अगर आपको Muskmelon farming (kharbuja ki kheti in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.

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Last Modified: 3 August, 2023

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