Kali Haldi ki Kheti (Black Turmeric Farming): भारत में मध्य प्रदेश और महाराष्ट् के अलावा कई अन्य राज्यों में काली हल्दी की खेती की जाती है. जिसको कंदीय फसल के रूप में जाना जाता है. काली हल्दी (Black Turmeric) औषधीय फसल होने के नाते बाजार में किसानो इसकी अच्छी कीमत मिल जाती. जिन किसानो ने अभी तक काली हल्दी की खेती आरम्भ नहीं की है वे खेत के कुछ हिस्से में काली हल्दी की खेती (Black Turmeric Cultivation) कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है. काली हल्दी कैसे उगाई जाती है? इसकी सम्पूर्ण जानकरी के लिए इस ार्टक्ले को अंत तक जरूर पढ़ें.

काली हल्दी की खेती कैसे करें | Kali Haldi ki Kheti Kaise Hoti Hai in Hindi
काली हल्दी की खेती वज्ञानिक तरीके की जाये तो इससे अच्छा लाभ कमाया जा सकता है. काली हल्दी के लिए कैसी भूमि और जलवायु होनी चाहिए, काली हल्दी के लिए बुवाई का उचित समय, कैसे करें काली हल्दी के लिए खेती की तैयारी और काली हल्दी कौन से महीने में लगाई जाती है? इसकी विस्तृत जानकरी नीचे दी जा रहे. अगर आपने काली हल्दी की खेती करने का मन बना लिया है तो आप के लिए यह जानकरी वरदान साबित होगी.
काली हल्दी की खेती की पूरी जानकारी | Black Turmeric Farming in Hindi
काली हल्दी की खेती के लिए जलवायु
काली हल्दी की खेती के लिए उष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती है. इसकी फसल के लिए 5-40 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान माना गया है. इसके पौधे में पाले को बर्दाश्त करने की छमता है.
काली हल्दी की खेती के लिए भूमि
काली हल्दी की खेती के लिए अच्छी जल धारण क्षमता वाली बलुई, दोमट, मटियार को सर्बोतम माना गया है. इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच 5-7 के बीच होना आवश्यक है. जल भराव, चिकनी काली, मिश्रित मिट्टी कम उपजाऊ वाली भूमि में काली हल्दी की खेती के लिए सही नहीं होती है, क्योकि इस प्रकार की मिट्टी में इसके कंद नहीं बढ़ते है.
काली हल्दी की खेती के लिए खेती की तैयारी
सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की गहरी जुताई खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि खेत में मौदूज खरपतवार और कीट नष्ट हो जायेंगे. इसके बाद आवश्यकतानुसार पुरानी गोबर की खाद खेत में डालकर 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई कर पलेवा करें. खेत की ऊपरी सतह सूख जाने पर फिर से जुताई कर रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर खेत को समतल कर लें.
काली हल्दी को लगाने का उचित समय
काली हल्दी जून-जुलाई के महीने में लगाई जाती है. यदि सिंचाई का उचित प्रबंध हो तो इसकी मई माह में भी बुवाई कर सकते हैं. काली हल्दी की खेती लिए वर्षा ऋतु को अच्छा माना जाता है.
काली हल्दी के बीज की मात्रा
काली हल्दी की खेती के लिए लगभग 20 क्विंटल कंद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से आवश्यकता होती है.
काली हल्दी के बीज को उपचारित कैसे करें
काली हल्दी के कंदों को बुवाई से पहले बाविस्टिन के 2 प्रतिशत घोल में 15-20 मिनट तक डुबोकर उपचारित करें, जिससे बीज की अंकुरण क्षमता बढ़ेगी और काली हल्दी के कंदों में सड़न की समस्या में कमी आएगी.
काली हल्दी बुवाई कैसे करें?
कंद से काली हल्दी की बुवाई – काली हल्दी की बुवाई/रोपाई कतारों में की जाती है. काली हल्दी के कंद लगाने के लिए कतार से कतार की दूरी डेढ़ से दो फीट होनी चाहिए जबकि कन्दों के बीच की दूरी कलगभग 20-25 सेमी होनी चाहिए. कन्दों की रोपाई के समय गहराई 6-7 सेमी से अधिक या कम नहीं होनी चाहिए.
पौध से काली हल्दी की रोपाई – पौध से काली हल्दी की रोपाई करते समय मेढ़ से मेढ़ के बीच की दूरी लगभग सवा फीट होनी चाहिए. मेढ़ पर पौधे से पौधे के बीच की दूरी 25-30 सेमी होनी चाहिए तथा मेढ़ की चौड़ाई 6-7 इंच के आसपास होनी चाहिए.
काली हल्दी की पौध कैसे तैयार करें
काली हल्दी की पौध को पॉलीथिन, प्रो ट्रे या फिर खेत में तैयार कर सकते है. काली हल्दी की नर्सरी तैयार करने के लिए काली हल्दी के कन्दों बाविस्टिन की उचित मात्रा से उपचारित करें. जिससे काली हल्दी की पौध की रोपाई बारिश के शुरू होने पर की जा सके.
काली हल्दी की फसल की सिचाई
काली हल्दी की फसल में ज्यादा सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है. काली हल्दी की कंद या पौध की रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए. हल्के गर्म मौसम काली हल्दी की फसल की सिचाई 10-12 दिन के अंतराल में करनी चाहिए. वही सर्दी के मौसम में 15-20 दिन के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए.
काली हल्दी खेती के लिए उर्वरक की मात्रा
काली हल्दी खेती के लिए प्रति एकड़ 10-12 टन सड़ी हुई गोबर खाद खेत में डालना चाहिए और घर पर तैयार जीवामृत को पौधों की सिंचाई के साथ देना चाहिए.
काली हल्दी की फसल में खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण के लिए इसकी फसल की निंदाई-गुड़ाई रोपाई के 25-30 दिन बाद करें. काली हल्दी की खेती में खरपतवार रोकथाम के लिए 3 गुड़ाई पर्याप्त है.
काली हल्दी की जड़ों में मिट्टी चढ़ाना
काली हल्दी की रोपाई के 2 महीने बाद पौधों की जड़ों में मिट्टी चढ़ाना ताकि पौधे स्वस्थ रहे. पौधों की जड़ों में मिट्टी चढ़ाने का काम हर 1-2 महीने बाद करना चाहिए.
काली हल्दी की फसल की कटाई (Black Turmeric Harvesting)
काली हल्दी की फसल की रोपाई के बाद करीब सौ दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. काली हल्दी के कन्दों की खुदाई जनवरी-मार्च तक की जाती है.
काली हल्दी की पैदावार और लाभ
काली हल्दी खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाये तो एक एकड़ में काली कच्ची हल्दी करीब 50-60 क्विंटल यानी सूखी हल्दी का करीब 12-15 क्विंटल तक का उत्पादन हो सकता है. काली हल्दी बाजार में करीब 500 रुपए तक बिक जाती है. ऑनलाइन वेबसाइट पर काली हल्दी और अधिक कीमत मिल जाती है. अगर हम 500 रुपए के हिसाब से कैलकुलेशन की जाये 15 क्विंटल की कीमत 7.5 लाख रुपए तक बी जाएगी. इसकी खेती के लिए बीज, जुताई, सिंचाई, खुदाई में 2.5 लाख रुपए में लगात आ जाती है. इसकी खेती 5 लाख रुपए का मुनाफा हो सकता है.
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