Black Turmeric Farming: काली हल्दी की खेती किसानो की आय बढ़ाने का एक बेहतर जरिया बन सकती है क्योकि राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में काली हल्दी की कीमत पीली हल्दी की अपेक्षा अच्छी रहती है. इसलिए किसानो को पारंपरिक फसलों के अलावा अन्य नई व्यावसायिक फसलों की खेती के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके अलावा कई राज्य सरकारें भी परंपरागत खेती के साथ ही औषधीय फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान भी दे रही है. ऐसे में औषधीय फसलों की खेती कर किसान अपनी आमदनी इजाफा कर सकते हैं. इन औषधीय फसलों में काली हल्दी की फसल को भी शामिल किया गया है. इसी को ध्यान में रखकर किसान खरीफ सीजन में Black Turmeric Cultivation से अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों प्राप्त का सकते हैं.
काली हल्दी की खेती (Kali Haldi ki Kheti Kaise Karen)
काली हल्दी एक दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के रूप जानी है जिसका उपयोग कई सारी आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है. काली हल्दी में पीली हल्दी के मुकाबले विटामिन्स और मिनिरल्स भी अधिक पाए जाते हैं. काली हल्दी में एंटी अस्थमा, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीफंगल, एंटी- कॉन्वेलसेंट, एनाल्जेसिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटी-अल्सर जैसे खास आयुर्वेदिक गुण मौजूद होते है जिनका शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण योगदान होता है. काली हल्दी में आयुर्वेदिक गुण मौजूद होने की वजह इसकी मांग हमेसा बनी रहती है. यही वजह है कि पीली हल्दी की अपेक्षा काली हल्दी की कीमत कई गुना अधिक होती है. ऐसे में किसान काली हल्दी की खेती वैज्ञानिक तरीके से करते है तो उनकी तगड़ी कमाई हो सकती है.
कब और कैसे करें काली हल्दी की खेती
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कैसी जलवायु में करें काली हल्दी की खेती
गर्म एवं आर्द्र जलवायु काली हल्दी की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है, फसल की अच्छी ग्रोथ के लिए 10-40 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच का तापमान उचित माना गया है.
काली हल्दी की खेती हेतु भूमि का चयन
जानकारों की माने तो काली हल्दी की खेती बलुई दोमट मिट्टी, काली मिट्टी, लाल मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है. फसल के अच्छे विकास हेतु खेत का पीएच मान 5-7 के बीच होना बेहद आवश्यक है.
किस प्रकार करें खेती की तैयारी
काली हल्दी की खेती के लिए खेत अच्छे से तैयार करना अति आवश्यक है क्योकि यह जमीन के अंदर होने वाली फसल है. इसलिए आवश्यकतानुसार सड़ी गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, नीम खली, जिप्सम पाउडर, ट्राइकोडर्मा एवं फफूंदनाशक डाल कर खेती की गहरी जुताई करके भूमि को बारीक और भुरभुरी बना लें. उसके बाद 2 फ़ीट चौड़े एवं 2 फ़ीट ऊँचे बेड या मैड बना लें. अगर आप ड्रिप सिस्टम और मल्चिंग के साथ खेती करना चाहते है तो बेड पर मल्चिंग और सिचाई के लिए ड्रिप लगा दें.
काली हल्दी की बुवाई का समय
काली हल्दी लगाने का सही समय शरुआती जून से लेकर अगस्त के आखिर तक मना गया है लेकिन सिंचाई का उचित प्रबंध है तो इसकी बुवाई किसी भी महीने में भी कर सकते हैं.
काली हल्दी के बीज की मात्रा एवं उपचार
काली हल्दी की एक एकड खेती के लिए लगभग 10000 की आवश्यकता होती है. बीज की अंकुरण क्षमता बढ़ाने एवं
सड़न की समस्या से बचाने के लिए काली हल्दी के कंदों को बुवाई से पहले बाविस्टिन के 2 प्रतिशत घोल में 15-20 मिनट तक डुबोकर उपचारित करें,
काली हल्दी लगाने का तरीका
काली हाली की खेती सीधे कंद द्वारा एवं नर्सरी तैयार करके की जा सकती है, काली हाली कैसे उगाएं की जानकरी इस प्रकार है-
- कंद से काली हल्दी की बुवाई – अगर आप काली हल्दी की बुवाई कंद द्वारा करने की सोच रहे तो आपको दूरी का विशेष ध्यान रखना होगा. कंद की बुवाई के समय कतार से कतार की दूरी 1.5 से 2 फीट, कन्दों के बीच की दूरी करीब 20-25 सेमी तथा 6-7 सेमी गहराई होनी चाहिए.
- पौध से काली हल्दी की रोपाई – पौध से काली हल्दी की रोपाई करते समय मैड से मैड की दूरी लगभग 1.25 फीट, पौधे से पौधे के बीच की दूरी 25-30 सेमी होनी चाहिए तथा मेढ़ की चौड़ाई 6-7 इंच के आसपास होनी चाहिए.
कैसे तैयार करें काली हल्दी की पौध
काली हल्दी की पौध को पॉलीथिन, प्रो ट्रे या फिर खेत में तैयार कर सकते है. काली हल्दी की नर्सरी तैयार करने के लिए काली हल्दी के कन्दों बाविस्टिन की उचित मात्रा से उपचारित करें. जिससे काली हल्दी की पौध की रोपाई बारिश के शुरू होने से पहले की जा सके.
काली हल्दी की फसल की सिचाई
काली हल्दी की फसल में ज्यादा सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है. काली हल्दी की कंद या पौध की रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए. हल्के गर्म मौसम काली हल्दी की फसल की सिचाई 10-12 दिन एवं सर्दी के मौसम में 15-20 दिन के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए. ध्यान रहे खेत में बारिश का पानी अधिक समय तक ना जमा रहे.
काली हल्दी खेती के लिए उर्वरक की मात्रा
काली हल्दी खेती के लिए प्रति एकड़ जैविक खाद के रूप में 10-12 टन सड़ी हुई गोबर खाद, वर्मीकम्पोस्ट, नीम खली, जिप्सम पाउडर, ट्राइकोडर्मा एवं फफूंदनाशक खेत में डालना चाहिए. इसके अलावा सिंचाई के समय घर पर तैयार जीवामृत का उपयोग करें.
काली हल्दी की फसल में खरपतवार नियंत्रण
प्राकृतिक रूप से खरपतवार नियंत्रण के लिए फसल की निंदाई-गुड़ाई रोपाई के 25-30 दिन बाद करें. काली हल्दी की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए लगभग 3 निंदाई-गुड़ाई पर्याप्त है.
काली हल्दी की जड़ों में मिट्टी चढ़ाना
काली हल्दी की रोपाई के 2 महीने बाद पौधों की जड़ों में मिट्टी चढ़ाएं ताकि पौधे स्वस्थ रहे. पौधों की जड़ों में मिट्टी चढ़ाने का काम 1-2 महीने बाद करना चाहिए.
काली हल्दी के प्रमुख कीट एवं रोग
पर्णदाग (लीफ बलोच),प्रकन्द गलन, तना छेदक, रिजोम स्केल, हल्दी थ्रिप्स, (पान्कीटो थ्रिप्स) आदि रोग काली हल्दी की फसल में देखने को मिलेंगे. जिनकी रोकथाम के लिए अपने कृषि विशेषज्ञों से परामर्श ले सकते हैं.
काली हल्दी की फसल की कटाई (Harvesting Black Turmeric )
काली हल्दी की फसल की रोपाई के करीब सौ दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. काली हल्दी के कन्दों की खुदाई जनवरी-मार्च तक की जाती है.
काली हल्दी की पैदावार और लाभ
अगर काली हल्दी की खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाये तो एक एकड़ काली हल्दी की खेती से काली कच्ची हल्दी के रूप में करीब 50-60 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त हो सकता है. ध्यान रहे कच्ची हल्दी सूखने के बाद 20-25% की कम हो जाती है.
काली हल्दी का बाजार भाव करीब 500 रुपए किलोग्राम तक मिल जाता है. अगर ऑनलाइन वेबसाइट पर काली हल्दी की कीमत की बात करें तो इससे भी अधिक दाम मिल सकते है. अगर 500 रुपए के हिसाब से कैलकुलेशन की जाये 15 क्विंटल की कीमत 7.5 लाख रुपए तक हो जाएगी. इसकी खेती के लिए बीज, जुताई, सिंचाई, खुदाई में करीब 2.5 – 3 लाख रुपए तक की लगात आ जाती है. अब आप इससे अनुमान लगा सकते है कि काली हल्दी की खेती कितना तगड़ा मुनाफा देती है. इसलिए काली हल्दी की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है.
काली हल्दी की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि काली हल्दी की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Black Turmeric Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.