जलेबी रोग (Onion Twister) : प्याज की सफल की फसल भारत के लगभग सभी राज्यों में की जाती है. लेकिन इसमें लगने वाले रोग बहुत ही खतरनाक होते है ये रोग पूरी की पूरी फसल को बर्बाद कर देते है. जिससे किसान की पूरी मेहनत बेकार चली जाती है. आज हम इस आर्टिकल के जरिये ऐसे दो प्याज के रोगों की चर्चा करने जा रहे है जो फसल को पूर्णतः बर्वाद कर सकते है. जिनका नाम पर्पल ब्लॉच (purple blotch) और जलेबी रोग (onion twister) है. आइये जानते है इन दोनों रोगों के बारे में पूरी जानकारी.
प्याज में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम का तरीका
प्याज मे जलेबी (Onion Twister)
प्याज का यह रोग बहुत ही खतरनाक होता है. यह प्याज के पौधों की पत्तियों को टेढ़ी-मेढ़ी कर देता है जिससे प्याज के उत्पादन पर काफी प्रभावित पड़ता है.
जलेबी रोग के लक्षण
- इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां टेढ़ी-मेढ़ी व पीले पड़ने लगती है.
- इस रोग से ग्रसित पौधे असामान्य बढ़ते है, जिससे जिससे पतले बल्बों का निर्माण होता है
- प्याज की पत्तियों पर धूसर धब्बे भी दिखाई देंगे.
- इस रोग से प्रभावित प्याज भंडारण सड़ने लगती है.
जलेबी रोग का नियंत्रण एवं उपाय
- इस फसल के लिए समतल एवं उचित जल निकास वाली भूमि का चयन करें
- प्रमाणित बीजों का ही चयन करें
- अच्छी रोग प्रतिरोधक प्रजाति के बीज का ही प्रयोग करना चाहिए.
- 2 या 3 साल का फसल चक्र अपनाना चाहिए
- रोपाई के समय पौधों से पौधों की दूरी एक सामान रखें
- मिट्टी परीक्षण के अनुसार खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करें.
- रोग का प्रभाव काम करने के लिए लक्षण दिखाई देने पर संक्रमित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें
- लंबे समय तक नमी से बचें ताकि नुकसान को कम किया जा सके
- प्याज के पौधे को जख्मी करने से बचें क्योंकि इससे पौधों में संक्रमण फेल सकता है
- खेत में प्रति एकड़ के हिसाब से 8 से 10 पीले स्टिकी ट्रैप एवं 8 से 10 नीले स्टिकी ट्रैप लगाएं
- खेत एवं खेत की मेढ़ों पर खरपतवार न होने दे
- समय समय पर निराई गुड़ाई करें
- यदि फसल पर लक्षण दिखाई देते है तो आप इंडोफिल एम-45 या कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 400-500 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 200-250 लीटर पानी में घोलकर किसी चिपकाने पदार्थ जैसे सैल्वेट- 99, 10 ग्राम /100 लीटर घोल के साथ मिलाकर 10 या 15 दिन के अंदर पर छिड़काव करें.
पर्पल ब्लॉच (purple blotch)
यह एक फंफूदी जनित रोग है. जोकि पुरानी पत्तियों के किनारों. तनों और डंठलों से शुरू होता है. इस रोग से ग्रसित पौधों में बैंगनी रंग के धब्बे (पर्पल ब्लॉच) दिखाई देने लगते है. यह रोग प्याज की फसल के लिए काफी घातक होता है. जिससे फसल के उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है.
प्याज में पर्पल ब्लॉच के लक्षण :-
- शुरुआत में पत्तियों पर छोटे, अंडाकार पीले, रंग के धब्बे जो आगे चल कर बैगनी रंग के हो जाते हैं
- इन धब्बो के किनारे पीले रंग के होते हैं। जब धब्बे बड़े होने लगते है तब पीले किनारे फ़ैल कर ऊपर नीचे घाव बनते है
- पर्पल ब्लॉच रोग के प्रकोप से पत्तियां व फूलों के तने, कंद, आती प्रभावित होते हैं
- अधिक संक्रमण होने पर पत्तियां मुरझा कर मर जाती है और पौधा सूख जाता है
- इस रोग से ग्रसित प्याज भंडारण के दौरान सड़ने लगती है, जिससे भारी क्षति होती है
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