Organic Farming : रासायनिक खेती के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से बचने के लिए जैविक खेती वर्तमान समय की जरुरत बन गई है। क्योकि ऑर्गेनिक फार्मिंग में रसायनिक खाद, जहरीले कीटनाशक दवाइयों का उपयोग करना नगण्य एवं पूर्णतः प्रतिबंधित होता है। भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाये रखने के लिए जैविक खेती में हरी खाद, गोबर की खाद, कम्पोस्ट, जानवरों एवं पौधों के कचरे से प्राप्त जैविक उर्वरकों, और कीट नियंत्रण का उपयोग किया जाता है। जैविक फार्मिंग की सबसे खास बात यह है कि इसको करने के लिए अधिक भूमि को आवश्यकता नहीं होती है, Jaivik Kheti को आप अपने घर पर भी शुरू कर फल और सब्जियों का उत्पादन कर सकते है. वर्तमान समय में Organic Farming क्यों जरुरी है और इसके क्या लाभ है के अलावा जैविक खेती कैसे शुरु करें के बारे में इस लेख में जानेंगे।
देश के किसानो को जैविक खेती की ओर आकर्षित करने हेतु तथा देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें समय-समय पर कृषि विशेषज्ञ द्वारा किसनो को Organic Agriculture से सम्बंधित प्रशिक्षण (Organic Farming Training) प्रदान करने के कार्य कर रही है. अगर आप भी Jaivik Kheti शुरू करना चाहते है तो आप इस लेख को आखिर तक पढ़ें.
जैविक खेती क्या है?
जैविक खेती एक ऐसी तकनीक है जिसमें प्राकृतिक स्वरूप से भूमि की उर्वरा शक्ति को अधिक समय तक बनाये रखने हेतु रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, पेस्टिसाइड्स, एंटीबायोटिक, ग्रोथ हार्मोन तथा खरपतवारनाशियों के बजाय जीवांश खाद पोषक तत्वों (हरी खाद, जीवणु कल्चर, गोबर की खाद, जैविक खाद, कम्पोस्ट, फसलों के अवशेष, प्रकृति में उपलब्ध विभिन्न खनिज पदार्थ आदि) , बायो-पैस्टीसाईड, बायो एजैन्ट, आर्गेनिक पेस्टिसाइड्स जैसे काईसोपा का उपयोग किया जाता है. जैविक खेती भूमि की उर्वरा शक्ति एवं पर्यावरण की शुद्धता को बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसलिए वर्तमान समय में जैविक खेती से प्राप्त होने वाली फसलों की मांग बहुत तेज़ी से बढ़ रही है.
जैविक खेती के प्रकार
ऑर्गेनिक फार्मिंग करने के इच्छुक किसान जैविक खेती (Organic Farming) को दो तरीकों से कर सकते है जिनका जिक्र हमने नीचे किया है-
- शुद्ध जैविक खेती:- शुद्ध जैविक खेती की रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के स्थान पर जानवरों के गोबर की खाद, कम्पोस्ट, फसल अवशेष, फसल के ठूंठ, बायोफर्टिलाइजर और प्रकृति में उपलब्ध खनिजों का उपयोग किया जाता है.
- एकीकृत जैविक खेती:- एकीकृत कीट प्रबंधन के जरिए पोषक तत्वों को एकीकृत कर जैविक खेती में करते हैं। प्राकृतिक और माॅडर्न एसेसीरीज के माध्यम से फसल उगाना शामिल है।
ऑर्गेनिक खेती के उद्देश्य / Objects
जैविक फार्मिंग किसानो के लिए नहीं वल्कि या पर्यावरण के लिए बहुत फायदेमंद और लाभकारी साबित हो रही है, ऑर्गेनिक खेती के उद्देश्य इस प्रकार है –
- रसायनिक अवशेषों से रहित सुरक्षित और पौष्टिक खाद्य फसलों का उत्पादन।
- मिट्टी की उर्वरा शक्ति एवं उपजाऊपन को प्राकृतिक स्वरुप से लब्बे समय तक संरक्षण।
- ऑर्गेनिक खेती का मुख्य उद्देश्य किसान मित्र कीटो को सुरक्षित रखना।
- खाद्य फसलों में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग रोकना।
- हानिकारक कीटनाशकों के दुष्प्रभावों से किसानों के स्वास्थ्य की रक्षा।
- जंगली जानवरो एवं प्रकृतिक जीवन को संरक्षित करना।
जैविक खेती से लाभ / Benefits
किसान, मिट्टी, पर्यावरण एवं उपभोक्ताओं की दृष्टि से लाभ आर्गेनिक फार्मिंग के विभिन्न लाभ (Benefits of organic farming) हो सकते है, जिनके बारे में विस्तार से नीचे बताया गया है –
- भूमि की उर्वरा शक्ति में प्राकृतिक रूप से वृद्धि
- रासायनिक खाद की निर्भरता में कमी
- सिंचाई अंतराल में वृद्धि
- रासायनिक रहित फसलों का उत्पादन
- भारतीय बाज़ारों में जैविक उत्पादों की अधिक मांग
- जैविक उत्पादों से किसानो की आय में वृद्धि
- जैविक खाद से भूमि की गुणवत्ता में सुधार
- भूमि की जल धारण क्षमता में बृद्धि
- भूमि से जल वाष्पीकरण में कमी
- पानी की कम आवश्यकता होती है.
- भूमि के जल स्तर में वृद्धि
- मिट्टी, खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के जरिए होने वाले प्रदूषण में कमी
- फसलों की उत्पादन लागत कमी एवं आय में वृद्धि
- पर्यावरण संतुलन बनाये रखने में मददगार
- रासायनिक रहित खाद्य पदार्थ की प्राप्ति
जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) के तरीके
देश के अधिकतर किसानों का पहला सवाल यह होता है कि में जैविक खेती शुरू करें (How to start organic farming?) जो किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू करना चाहते है वे इन बातों पर ध्यान दे.
मृदा परीक्षण
जैविक खेती शुरू करने के इच्छुक किसानो को सबसे पहले अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण किसी भी निजी लैब अथवा सरकारी प्रयोगशाला करवाएं। जिससे आपको खेत की मिटटी से जुडी जानकारी प्राप्त होगी। इस मृदा परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार आप अपने खेत में उपयुक्त जैविक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कर सकेंगे।
जलवायु को समझें
जैविक खेती स्टार्ट करने से पहले किसानो को अपने यहाँ की जलवायु के बारे में अच्छे से समझाना होगा क्योकि हर जगह की जलवायु अलग-अलग से तरह व्यवहार करती है।
सही फसलों का चुनाव
ऑर्गेनिक खेती में सबसे महत्वपूर्ण फसलों को चयन करना है. फसलों के चयन के लिए आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों से राय ले सकते हैै।
ऑर्गेनिक फार्मिंग हेतु परीक्षण
जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकारें द्वारा समय समय पर कृषि विशेषज्ञों एवं अनुभवी कृषकों द्वारा ऑर्गेनिक फार्मिंग ट्रेनिंग प्रोग्राम एवं सेमीनार आयोजित किये जाते है। उनमें आपको भाग लेना चाहिए।
जैविक खाद बनाने की जानकारी
ऑर्गेनिक खेती के लिए उचित मात्र में जैविक खाद की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए आपको जैविक खाद बनाने की जानकारी होना बहुत जरूरी है।
ऑर्गेनिक खेती हेतु पशुपालन को बढ़ावा
किसान भाइयों जैविक खेती के साथ पशुपालन को भी बढ़ावा बहुत जरुरी है क्योकि जैविक खाद के लिए पशुओं के गोबर और गोमूत्र की आवश्यकता. जिससे जीवामृत आदि बनाने में मदद मिलेगी. यदि किसान एक देशी गाय पलता है तो उसको पूरे साल खाद खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. एक गाय के गोबर और गोमूत्र से विभिन्न प्रकार के खाद और कीटनाशक बना सकते है.
जैविक खाद बनाने की जानकारी
ऑर्गेनिक खेती के लिए उचित मात्र में जैविक खाद की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए आपको जैविक खाद बनाने की जानकारी होना बहुत जरूरी है।
जैविक खेती हेतु सरकारी योजनाओं की मदद लें
ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. जैविक खेती के लिए सरकार द्वारा संचालित सरकारी योजनाओ का लाभ प्राप्त कर सकते है. सरकार की इन योजनाओ के तहत प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है.
ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रमुख जैविक खाद एवं दवाइयां
जैविक खेती के लिए उपयोग में आने वाली जैविक खाद और दवाईयां बनाने हेतु उपयोग आने वाले चीजों के बारे में नीचे बताया गया है-
भभूत अम़तपानीम, दस्पर्णी अर्क, घन जीवामृत, जीवामृत, सींग खाद, अमृत संजीवनी, मटका खाद, जैविक खेती, ह्यूमिक एसिड (चावल से र्निमित)
आर्गेनिक मेथोडोलॉजी के माध्यम से रोग दूर करना
जैविक पद्धति द्वारा से फसलों रोग एवं किट को दूर करने के तरीके निम्नलिखित है-
नीम-पत्ती का घोल/निबोली/खली, गौ मूत्र, मट्ठा, कच्चा दूध, हल्दी, हींग व एलोवेरा जेल का छिड़काव, मिर्च/लहसुन, लकड़ी की राख, नीम व करंज खली, फसलो का अवशेष।
ऑर्गेनिक खेती में लागत और आमदनी
जैविक खेती के शुरुआत दिनों में लगत अधिक और आमदनी कम मिल सकती है, लेकिन 2-3 साल बाद ऑर्गेनिक खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक होने लगता है। धीरे-धीरे ऑर्गेनिक खेती में लगत जीरो होने लगती है। इसलिए ऑर्गेनिक फ्रीमिंग को जीरो बजट फार्मिंग (zero budget farming) भी कहते हैं।
जैविक उत्पादों कहाँ बेचे
जैविक खेती से प्राप्त होने वाले उत्पादों को बेचने की समस्या निजात दिलाने के लिए सरकार ने जैविक पोर्टल (https://www.jaivikkheti.in/) को लॉन्च किया है. इसके अतरिक्त ऑर्गेनिक बाजार (organic market) को प्रोत्साहन देने के लिए कृषि एवं सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एक विकेन्द्रीकृत जैविक कृषि प्रमाणन प्रणाली “भारत की सहभागिता प्रतिभूति प्रणाली” (पीजीएस-इंडिया) लागू की गई है. जैविक उत्पाद की स्वदेशी मांग में पीजीएस-इंडिया परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) सहायता पहुंचाती है. इससे रासायनिक उत्पाद के अपेक्षा जैविक उत्पाद का मूल्य अधिक मिलता है.
भारत का पहला जैविक राज्य
Sikkim is the First Organic State of India : सिक्किम भारत का पहला जैविक राज्य है, जहाँ 100% जैविक खेती की जाती है. सिक्किम राज्य को जैविक खेती हेतु ग्लोबल फ्यूच पॉलिसी अवार्ड दिया गया है. सिक्किम का कुल क्षेत्रफल 7 लाख 29 हजार 900 हेक्टर है जिसमें केवल 10.20% क्षेत्र कृषि करने योग्य है. शेष भूमि वन, बेमौसम भूमि के, शीत मरुस्थल और अल्पाइन क्षेत्र आदि के तहत आती है.
दरअसल, सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग नें वर्ष 2016 में सभी प्रकार के रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के साथ इसके उपयोग पर एक लाख (1,00,000) रुपये का जुर्माना लगाने की घोषणा की थी. इस तरह सिक्किम भारत का पहला जैविक राज्य बन गया.
जैविक खेती – FAQs
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