यूरिया खाद की बढ़ती मांग को देखते हुए इफको (IFFCO) ने किसानों की सुविधा के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. जिससे किसानो के बीच खाद की कमी को लेकर आक्रोश ना फैले. खाद की कमी के चलते किसानो की फसल ख़राब न हो. खाद किसी भी पौधे के बीज अंकुरण से लेकर उसके विकास तक में मदद करता है. तो आइये इफको की इस बेहतरीन स्कीम के बारें में इस आर्टिकल के जरिये आपको सम्पूर्ण जानकारी देते है.

यूरिया खाद के साथ मिलेगा नैनो यूरिया (Nano urea will be available with urea fertilizer)
खाद की कमी को देखते हुए इफको ने हिमाचल प्रदेश में कई जिलों में यूरिया खाद की खेप भेजी है. गोदामों में खेप पहुंचने के बाद यूरिया उर्वरक की बिक्री भी शुरू हो गई है. इस परिस्थिति में जो किसान अधिक यूरिया की मांग कर रहे है उसके लिए इफको ने एक नियम जारी किया है. अब किसानों को यूरिया खाद के साथ नैनो यूरिया भी खरीदना होगा.
तीन के साथ दो का फार्मूला अपनाएं किसान (Farmers adopt the formula of two with three)
तीन के साथ दो का फार्मूला अपनाएं किसान (Farmers adopt the formula of two with three)
दरअसल, तीन बोरी से ज्यादा यूरिया खाद की मांग वाले किसानों को नैनो यूरिया की दो बोतलें दी जाएंगी. जिसकी की वजह से किसानो की पांच बोरी यूरिया खाद की जरूरत पूरी हो जाएगी. ऐसा भी सुनने में आया है कि किसान नैनो यूरिया खरीदने में कम दिलचस्पी दिखा रहे है. किसानो का कहना कई कि नैनो यूरिया स्प्रे की तुलना में बोरी यूरिया खाद का छिड़काव करना आसान है.
नैनो यूरिया है खेतों के लिए आवश्यक (Nano urea is essential for farms)
आने वाले समय में यूरिया की मांग को देखते हुए IFFCO राज्य में सभी किसानों को नैनो यूरिया खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है
इसी विषय में इफको ऊना के बिक्री अधिकारी मोहित शर्मा ने बताया कि “नैनो यूरिया का छिड़काव किसी भी कीटनाशक या अन्य दवा के साथ मिलाकर भी किया जा सकता है. और इससे किसानों का समय भी बच सकेगा. उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया के नतीजे साधारण यूरिया से बेहतर हैं (Results of nano urea are better than normal urea). इसलिए खाद की तीन बोरियों के साथ दो नैनो यूरिया भी दिया जाएगा”.
पर्यावरण और खेती के लिए है बेस्ट
आधा लीटर नैनो यूरिया 50 किलो यूरिया के बराबर होता है और काम खर्चीला भी है. नैनो यूरिया बाजार में भी आसानी से मिल जाता है और रासायनिक उर्वरकों की तुलना में बेहतर उपज देते हैं. साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है.
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