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कृषि दिशा / खेती-बाड़ी / फ्रेंच बीन्स की खेती (Beans Cultivation) की पूरी जानकारी

फ्रेंच बीन्स की खेती (Beans Cultivation) की पूरी जानकारी

By: Sanjay Sharma | Updated at:11 January, 2023 google newsKD Facebook

French Bean ki kheti (French Bean Farming in hindi): फ्रेंच बीन की खेती (French Bean Cultivation) मुख्य रूप से रबी के मौसम में की जाती है. फ्रेंच बीन दो प्रकार की होती है एक झाड़ीनुमा दूसरी लतादार. फ्रेंच बीन की खेती भररत के महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े ही व्यापक स्तर पर की जा रही है. अगर आप फ्रेंच बीन की खेती करने की सोच रहे है तो आप इस लेख को जरूर पढें. क्योकि इस पोस्ट के जरिये फ्रेंच बीन की खेती कब और कैसे करे इसकी सम्पूर्ण जानकारी आप तक पंहुचा रहे है. इसकी खेती से अधिक पैदावार लेकर अधिक लाभ कमा सकें जाने French Bean ke Fayde

French Bean ki kheti
French Bean Farming in Hindi

फ्रेंच बीन की खेती – French Bean ki kheti in Hindi

बीन्स की खेती हेतु उपयुक्त मिट्टी, जलवायु तथा तापमान (Beans Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature) के विषय के बारे में इस लेख में आपको जानकारी दी जा रही है.

फ्रेंच बीन की खेती की पूरी जानकारी – French Bean Farming in Hindi

अगर आप फ्रेंच बीन की खेती करने के इच्चुक है तो फ्रेंच बीन की खेती कब और कैसे करें इसकी विस्तार रूप नीचे जानकारी जानकारी दी जा रही है इसको जरूर पढ़ें.

जलवायु (Climate Requirement for French Bean Cultivation)

फ्रेंच बीन की खेती (French Bean) के लिए समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु सर्बोतम माना जाता है. फ्रेंच बीन के उत्तम विकास के लिए 18-24 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है.

भूमि का चयन (Soil Requirement for French Bean Cultivation)

फ्रेंच बीन को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. लेकिन फ्रेंच बीन की खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए
उचित जल निकासी वाली और उर्वराशक्ति से भरपूर दोमट तथा हल्की दोमट भूमि को उपयुक्त माना जाता है. फ्रेंच बीन की अच्छी उपज के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 5.5-6.5 के बीच होना चाहिए.

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फ्रेंच बीन की किस्में (French Bean Varieties)

फ्रेंच बीन की झाड़ीनुमा (Bushy Type) और लतादार फ्रेंच बीन की निम्नलिखित किस्में है
फ्रेंच बीन के झाड़ीदार किस्में:- स्वर्ण प्रिया, अर्का संपूर्णा, आर्क समृद्धि, अर्का जय, पन्त अनुपमा, पूसा पार्वती, एच.ए.एफ.बी. – 2
फ्रेंच बीन खेती के बेलदार किस्मे:- स्वर्ण लता, अर्का कृष्णा, अर्का प्रसिद्धि, पूसा हिमलता, सी. एच. पी. बी. – 1820

इनके अलावा फ्रेंच बीन की अन्य किस्में- अर्ककोमल, अर्कासुविदा, प्रीमियर, अर्का सुमन, दीपाली, कंकन बुशन, दसारा और फुले गौरी जैसी आदि किस्में मौजूद हैं

खेत की तैयारी (Land Preparation for French Bean Cultivation)

फ्रेंच बीन की खेती (French Bean Farming) के लिए पहली जुताई पलाऊ से करें ताकि पुरानी फसल के अवशेष के साथ खरपतवार भी नष्ट हो जाये. खेत की उर्वराशक्ति बढ़ाने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद डालकर मिट्टी में मिलाकर खेत का पलेव कर दें. पलेव करने के बाद खेती की ऊपरी पार्ट सुख जाने पर खेत अच्छे जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी और समतल कर लें.

बुवाई का समय (French Bean Sowing Time)

फ्रेंच बीन की बुवाई का सबसे बढ़िया समय पहाड़ियों पर फरवरी-मार्च और मैदानी इलाकों में अक्टूबर-नवंबर होता है.

बीज की मात्रा और उपचार

झाड़ीनुमा फ्रेंच बीन लिए 70-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है तथा लतादार झाड़ीनुमा फ्रेंच बीन लिए 40-45 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर दर से बीज की जरूरत होती है. बीज को फफूंदीनाशक रसायन कार्बेन्डाजिम, थीरम या गोमूत्र उपचारित करना चाहिए. जिससे मिट्टी से उत्पान बीमारियों से सुरक्षा मिलेगी.

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बुवाई का सही तरीका (French Bean Sowing Method)

खेत तैयार करने के बाद फ्रेंच बीन की बुवाई के समय झाड़ीनुमा (Bushy Type) किस्म के लिए पंक्ति से पंक्ति 45-60 सें.मी. तथा बीज से बीज की दूरी 10-15 सें.मी. रखनी चाहिए. वही बेलदार किस्मों के लिए पंक्ति से पंक्ति दूरी 75-100 से.मी. और बीज से बीज की दूरी 24-30 सें.मी. होनी चाहिए.

फ्रेंच बीन की बुवाई समतल खेत या उठी हुई मेड़ों या फिर क्यारियों में करते सकते लेकिन उठी हुई मेड़ों या क्यारियों में फ्रेंच बीन की बुवाई करने पर फसल की अच्छी बृद्धि और अच्छे उत्पादन के लिए बढ़िया माना जाता है.पौधों को सहारा देने का उचित प्रबंध करना चाहिए. बीज अंकुरण के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए.

उर्वरण व खाद (Manures and Fertilizers in French Bean Cultivation)

खेत की तैयारी करते समय 20-25 टन गोबर या कम्पोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर की दार से खेत में डाले. रासायनिक खाद में 80-120 कि.ग्रा नाइट्रोजन, 50 कि.ग्रा. फास्फोरस और 50 कि.ग्रा. पोटाश की आवश्यकता पड़ती है इसकी बुवाई के समय. नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले खेत में डालें. शेष नाइट्रोजन की मात्रा को दो भागों में विभाजित कर बुवाई के करीब 25-30 दिन बाद और 40-45 दिन बाद फसल में टॉप ड्रैसिंग के रूप में देना चाहिए.

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खरपतवार नियंत्रण (Weed Management in French Bean Cultivation)

रासायनिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 2-3 दिन के अंदर पेन्डीमेथलीन का उचित मात्रा में छिड़काव करें.
प्राकृतिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय आवश्यकतानुसार पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए

सिंचाई (Irrigation in French Bean Cultivation)

फ्रेंच बीन की फसल में उचित नमी बनाये रखने के लिए समय-समय आवश्यकतानुसार पर सिंचाई करें. फ्रेंच बीन में हलकी सिचाई करें.

फ्रेंच बीन फसल के कीट एवं रोकथाम (Pests and Diseases in French Bean Cultivation)

फ्रेंच बीन की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए फसल को कीट और रोगों से बचाना बहुत जरुरी है. फ्रेंच बीन फसल के कीट लगने वाले कीट जिनमें तना छेदक कीट, तना गलन, मोजेक, फली छेदक, बीन बिटिल आदि है. इनसे बचाने के लिए नजदीकी बागवानी / कृषि विभाग से संपर्क कर सकते है.

तुड़ाई (Harvest French Bean Crop)

सब्जी के लिए तुड़ाई फूल आने के 2-3 सप्ताह बाद शुरू हो जाती है. नर्म व कच्ची अवस्था में फलियों को तोड़ लें.

उपज (Yield in French Bean Cultivation)

हरी फली की उपज 75-100 क्विंटल/हेक्टेयर की दर से प्राप्त हो जाती है. इसकी पैदावार किस्मों पर भी निर्भर करती है.

अगर आपको French Bean Cultivation in India (French Bean Farming in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.

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Last Modified: 15 January, 2023 8:49 AM

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