French Beans Cultivation in India : सर्दियों के मौसम में व्यापक रूप से उगाई जाने वाली फलीदार सब्जियों में फ़्रेंचबीन एक है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहतर नहीं है बल्कि किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाने वाली फसल मानी जाती है. इसलिए भारतीय किसानो का रुझान फ्रेंच बीन की खेती की तरफ बढ़ रहा है, हालांकि फ्रेंच बीन को एक दलहनी फसल के रूप में जाना जाता है. लेकिन इसकी हरी अपरिपक्व फलियों को सब्जी के रूप में बड़े पैमाने पर पका कर खाया जा रहा है. अगर आप भी फ्रेंचबीन की खेती करके अच्छा मुनाफा कामना चाहते है तो आपको फ्रेंचबीन कल्टीवेशन से जुडी सभी जानकारियों को प्राप्त करना होगा.
भारत में फ्रेंच बीन की खेती दो प्रकार से की जाती है पहली झाड़ीनुमा खेती और दूसरी लतादार खेती. फ्रेंच बीन फार्मिंग भारत के महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर एवं पूर्वोत्तर राज्यों व्यापक स्तर पर की जाती है. यदि आप भी रबी के मौसम में पारम्परिक फसलों को छोड़कर फ्रेंच बीन की खेती करने के इच्छुक है तो आप इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़े, इस आर्टिकल में आपको फ्रेंच बीन की खेती कब और कैसे करें, फ्रेंच बीन की उन्नत किस्में कौन कौन सी है, फ्रेंच बीन की बुवाई कैसे करते है आदि सवालों के जवाब मिल जायेंगे
फ्रेंच बीन की खेती
French Beans Farming in Hindi: फ़्रेंच बीन भारत में सबसे महत्वपूर्ण फलीदार सब्जियों में से सबसे लोकप्रिय है, जिसको किडनी बीन, कॉमन बीन और स्नैप बीन के नाम से भी जाना जाता है. फ़्रेंच बीन्स फलीदार होने के कारण इसकी सब्जी बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक भी होती है प्रायः जिसको सभी लोग बेहद पसंद करते है. स्वास्थ्य के लिहाज से फ़्रेंच बीन खाने के फायदे अनगिनत होते है, क्योकि फ़्रेंच बीन में कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, फॉस्फोरस, कैरोटीन, थायमिन, राइबोफ्लेविन और विटामिन सी का अच्छा स्रोत मना जाता है. फ़्रेंच बीन एक छोटी अवधि की फसल है जो किसानो के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है.
फ्रेंच बीन की खेती कैसे करें
रबी का मौसम शुरु होते ही किसान अच्छी आय देने वाली फसलों के बारे में सोचने लगते है, इस स्थिति में कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों के लिए फ्रेंचबीन की खेती (French Beans farming) बेहतर अवसर हो सकती है. अगर आप फ्रेंच बीन की खेती करने के इच्चुक है, तो आईये जानते हैं कि कैसे किसान फ्रेंचबीन की खेती कर सकते हैं.
फ्रेंच बीन फसल के लिए जलवायु
किसान फ्रेंच बीन की खेती को सर्दी व गर्मी दोनों मौसम में कर सकते है क्योकि इसके खेती के लिए हल्की गर्म जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है जबकि फसल के उत्तम विकास हेतु 18 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर मना जाता है.
फसल हेतु उपयुक्त भूमि
फ्रेंच बीन फार्मिंग हेतु मिट्टी की बात करें तो सामान्यतः सभी प्रकार की मिट्टी में इसको उगाया जा सकता है लेकिन कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फ्रेंच बीन कल्टीवेशन (French Beans Cultivation) के लिए उचित जल निकासी वाली एवं उर्वराशक्ति से भरपूर दोमट व हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त माना जाती है. वही फ्रेंच बीन की अच्छी उपज के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 5.5-6.5 के बीच होना चाहिए.
फ्रेंच बीन की उन्नत किस्में
फसल से अच्छी उपज और पैदावार प्राप्त करने के लिए फ्रेंच बीन की उन्नत किस्मों का चयन सबसे जरूरी है. अगर आप अच्छी गुणवत्ता वाली उन्नत किस्मों का चयन कर लेते है तो आपको अच्छी पैदावार मिलेगी. फ्रेंचबीन की खेती के लिए कई किस्में आती है जो इस प्रकार है-
फ्रेंच बीन की झाड़ीदार किस्में:- स्वर्ण प्रिया, अर्का संपूर्णा, आर्क समृद्धि, अर्का जय, पन्त अनुपमा, पूसा पार्वती, वी.एल. बोनी-1 आदि प्रमुख किस्में शामिल है.
फ्रेंच बीन की बेलदार किस्मे:- स्वर्ण लता, अर्का कृष्णा, अर्का प्रसिद्धि, पूसा हिमलता, सी. एच. पी. बी. – 1820 आदि प्रमुख किस्में शामिल है.
फ्रेंच बीन की बुवाई का उपयुक्त समय
उत्तर भारत में फ्रेंच बीन की बुवाई अक्टूबर व फरवरी में की जा सकती है। वहीं हल्की ठंड वाले इलाकों पर फ्रेंच बीन की खेती नवंबर में की जाती है। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्र में फ्रेंच बीन फार्मिंग फरवरी, मार्च व जून माह में की जा सकती है.
फ्रेंच बीन के बीज की मात्रा
झाड़ीनुमा फ्रेंच बीन की खेती करने के लिए प्रति हेक्टेयर 70-80 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है वही दूसरी ओर लतादार झाड़ीनुमा फ्रेंच की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 40-45 किलोग्राम की जरुरत होती है. फ्रेंच बीन की बुवाई से पहले फ्रेंच बीन के बीज को फफूंदीनाशक रसायन कार्बेन्डाजिम, थीरम या गोमूत्र उपचारित करना चाहिए.
फ्रेंचबीन की खेती के लिए खेत की तैयारी
French Beans Farming के लिए खेती की पहली जुताई पलाऊ से करें ताकि पुरानी फसल के अवशेष के साथ खरपतवार भी नष्ट हो जाये. उसके बाद खेत की उर्वराशक्ति बढ़ाने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद डालकर जुताई करें दे. फ्रेंचबीन की बुवाई से पहले खेत की कल्टीवेटर की मदद से 2 से 3 बार गहरी आड़ी-तिरछी जुताई करें ताकि खेत की मिटटी भुरभुरी बन सकें. इसके बाद पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल कर लें.
अधिक पैदावार हेतु फ्रेंचबीन की फसल डालें ये उर्वरक
फ्रेंचबीन की फसल के लिए खेत तैयार करते समय 20-25 टन गोबर या कम्पोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर की डॉ से खेत में डाले. इसके अलावा बुवाई के लिए अंतिम जुताई करते समय 20 कि.ग्रा. नत्रजन, 80 कि.ग्रा. फास्फोरस और 50 कि.ग्रा. पोटाश की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें. वहीं फूल आने के समय 20 कि.ग्रा. नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से फसल में प्रयोग करें. फ्रेंचबीन की खेती में कितनी मात्रा में खाद व उर्वरक का प्रयोग करें उसके लिए आप पाने क्षेत्र के कृषि विशेषज्ञ से संपर्क करें.
फ्रेंचबीन की खेती के लिए बीज की बुवाई का तरीका
फ्रेंच बीन के बीज की बुवाई समतल खेत या बैड बनाकर की जा सकती है, यदि आप बेड बनाकर फ्रेंच बीन बीज बुवाई करते है तो आपको अच्छी पैदावार मिल सकती है. बिजाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए. ताकि बीज अंकुरण अच्छे से हो सके. फ्रेंच बीन के पौधों को सहारा देने का उचित प्रबंध करना चाहिए.
खेत तैयार करने के बाद फ्रेंच बीन की बुवाई के समय झाड़ीनुमा किस्म के लिए पंक्ति से पंक्ति 45-60 सें.मी. तथा बीज से बीज की दूरी 10-15 सें.मी. रखनी चाहिए. वही बेलदार फ्रेंचबीन किस्मों के लिए पंक्ति से पंक्ति दूरी 75-100 से.मी. और बीज से बीज की दूरी 24-30 सें.मी. होनी चाहिए.
फ्रेंचबीन की खेती में खरपतवार पर नियंत्रण कैसे करें
फ्रेंचबीन की बुवाई के बाद खरपतवारों का प्रकोप शुरू होने लगता है जिससे फसल का विकास अच्छे से नहीं हो पता है, इसलिए फसल से अवांछिनीय पौधों (खरपतवार) को आवशयक हो जाता है. प्राकृतिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए आपको फसल की आवश्यकतानुसार समय-समय निराई-गुड़ाई करनी होगी. अगर फसल में खरतवार का प्रकोप अधिक है तो आप रासायनिकों का उपयोग कर फ्रेंचबीन की खेती में खरपतवार पर नियंत्रण
कर सकते है.
फ्रेंचबीन की फसल में सिंचाई
गुणवत्तापूर्ण फली और अधिक पैदावार प्राप्त करने हेतु यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में पर्याप्त नमी बानी रहे. इसके अलावा बुआई के तुरंत बाद, फूल आने से ठीक पहले, फूल आने और फली बनने की अवस्था के समय पर्याप्त सिंचाई करनी चाहिए. फ्रेंच बीन की फसल में उचित नमी बनाये रखने के लिए समय-समय आवश्यकतानुसार पर सिंचाई करते रहे. जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है वहां के किसान स्प्रिंकलर या ड्रिप सिंचाई को अपना सकते है.
फ्रेंच बीन फसल के कीट एवं रोकथाम (Pests and Diseases in French Beans Cultivation)
फ्रेंच बीन की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए फसल को कीट और रोगों से बचाना बहुत जरुरी है. फ्रेंच बीन फसल के कीट लगने वाले कीट जिनमें तना छेदक कीट, तना गलन, मोजेक, फली छेदक, बीन बिटिल आदि है. इनसे बचाने के लिए नजदीकी बागवानी / कृषि विभाग से संपर्क कर सकते है.
फ्रेंच बीन की तुड़ाई
French Beans Harvesting: सब्जी के लिए नर्म व कच्ची अवस्था में बीन्स की फलियों की तुड़ाई बीज रोपाई के लगभग 50 से 60 दिन पश्चात कर सकते है. तुड़ाई के पश्चात फलियों को साफ पानी में धोकर कर एकत्रित कर मंडी में बेचने के लिए भेज दिया जाता है. बातें दें बीन्स का मंडी भाव 30 से 35 रूपए प्रति किलो तक मिल जाता है कभी कभी इससे अधिक भाव मिल जाता है.
फ्रेंच बीन की पैदावार
फ्रेंच बीन की पैदावार फ्रेंच बीन की किस्मों पर भी निर्भर करती है. लेकिन सामन्यतः हरी फलियों का उत्पादन 90 से 110 दिनों में 8-10 टन/हेक्टेयर तथा दालों के लिए फसल का उत्पादन 20 से 25 क्विंटल/हेक्टेयर तक मिल जाता है.
French Beans ki Kheti – FAQs
फ्रेंच बीन की खेती, कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकरी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि फ्रेंच बीन की खेती कैसे करें (How to cultivate French Beans) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को आपको पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है.