Peas Cultivation: भारत में उगाई जाने वाली दलहनी सब्जियों में मटर का एक विशेष स्थान है. सर्दियों में मटर की फलियों की डिमांड रहती हो जो किसानो काफी अच्छा मुनाफा दिलाती है. हरे मटर की खेती एक ऐसी खेती है जो कम समय और कम मेहनत में तगड़ी कमाई कर सकते है. अगर आप भी मटर की खेती करने का मन बना रहे हैं, तो हम आपको मटर की उन्नत खेती से जुडी कुछ जरूरी बातें बताएँगे. इनका ध्यान रख आप ज्यादा से ज्यादा पैदावार प्राप्त कर पाएंगे और दोगुने से अधिक मुनाफा कमा सकते है.
मटर की खेती सामान्यतः तौर पर उगाई जाने वाली फसल है. बात दें, मटर की खेती (Pea Farming) से अच्छा मुनाफा तो मिलता ही है साथ में यह खेत की उर्वराशक्ति को भी बढ़ाता है. क्योकि इसमें मौजूद राइजोबियम जीवाणु भूमि को उपजाऊ बनाने में सहायक होते है. यदि मटर की अगेती किस्मों की खेती की जाए तो अधिक पैदावार के साथ भूरपूर मुनाफा भी लिया जा सकता है. इसकी कच्ची फलियों का उपयोग सब्जी के रुप में उपयोग किया जाता है. यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होती है. मटर पकने के बाद इसकी सुखी फलियों से दाल बनाई जाती है. मटर की उन्नत खेती कैसे करे, उसकी सम्पूर्ण जानकारी यहा प्राप्त करें.
मटर की खेती (Matar ki Kheti)
भारत में मटर की खेती (matar ki kheti) करीब 7.9 लाख हेक्टेयर भूमि की जाती है. इसका सालाना उत्पादन लगभग 8.3 लाख टन है यानी 1029 किग्रा./हेक्टेयर है. मटर की खेती करने वालों प्रदेशों में उत्तर प्रदेश का प्रमुख स्थान है. उत्तर प्रदेश में करीब 4.34 लाख हेक्टेयर भूमि पर मटर उगाई जाती है. इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बिहार में मटर की खेती बड़े स्तर पर की जाती है. अगर आप भी मटर की अगेती खेती करके तगड़ा मुनफा कामना चाहते है तो आपको यहा मटर फार्मिंग के बारे में सम्पूर्ण जानकरी मिलेगी.
मटर की खेती कब और कैसे करें?
मटर की खेती सबसे ज्यादा कहां होती है, सब्जी वाली मटर की खेती, मटर की खेती में कौन सी खाद डालें, मटर की खेती में कितने पानी लगते हैं, मटर की खेती pdf, मटर की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है, मटर की खेती कब करें मटर की फसल कितने दिन में तैयार होती है आदि सवालों के लिए नीचे दी गई जानकारी को पढ़ें.
कैसे मौसम की होगी जरूरत?
कृषि एक्सपर्ट के अनुसार अक्टूबर-नवंबर महीना मटर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होता है. फसल की अच्छी ग्रोथ के लिए 10 से 15 सेल्सियस के बीच का तापमान होना चाहिए वही बीज अंकुरण के लिए 22 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता रहती है.
कैसी होनी चाहिए भूमि
सामान्यतः मटर की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है लेकिन 6 से 7.5 पी एच मान वाली रेतली दोमट और चिकनी मिट्टी ज्यादा उपयुक्त मानी गई है. फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत से जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.
मटर की उन्नत किस्में
आर्किल, बी.एल., जवाहर मटर 3 (जे एम 3, अर्ली दिसम्बर), जवाहर मटर – 4 ( जे एम 4), हरभजन (ईसी 33866), पंत मटर – 2 (पी एम – 2), मटर अगेता (ई-6), जवाहर पी – 4, पंत सब्जी मटर, पंत सब्जी मटर 5, इनके अलावा जल्दी तैयार होने वाली अन्य मटर की अगेती किस्में काशी नंदिनी, काशी मुक्ति, काशी उदय और काशी अगेती किस्में है जो 50 से 60 दिन में तैयार हो जाती हैं.
ऐसे करें मटर की खेती के लिए जमीन तैयार
खरीफ सीजन की फसल कटने के बाद खेत की 1-2 बार हैरो से जुताई कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दे. बुवाई से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर भूमि को समतल कर लें ताकि बुबाई के समय खेत में पर्याप्त बनी रहे.
बुवाई करने का समय और तरीका
मटर की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए अक्टूबर से मिड नवंबर के बीच बुबाई कर देनी चाहिए. याद आप इससे आगे बुबाई करते है तो इसका असर फसल के उत्पादन पर पड़ सकता है. बीज को मिट्टी में 2 से 3 सै.मी. गहराई में बोएं और बीज से बीज की दूरी 30 सैं.मी. x 50 सैं.मी. रखें.
बीज की मात्रा
मटर की खेती करने के लिए 35 से 40 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है. बुबाई करने से पहले बीज को केप्टान या थीरम 3 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 2.5 ग्राम से प्रति किलो बीज उपचारित कर लें. जिससे फसल के उत्पादन में करीब 8 से 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है.
ऐसे डाले खाद की मात्रा
मटर की खेती सामान्यत: 20 किग्रा, नाइट्रोजन (यूरिया), 25 किलो फासफोरस प्रति एकड़ बुबाई के समय देना उचित है. पोटेशियम की कमी वाले क्षेत्रों में 20 कि.ग्रा. पोटाश (म्यूरेट ऑफ पोटाश के माध्यम से) दिया जा सकता है. किसान भाई मिट्टी की अवश्य जाँच कराएं जिससे पोषक तत्वों की पूर्ति करने में आसानी हो सकेगी.
खरपतवार नियंत्रण
किसी भी फसल के लिए खरपतवार नियंत्रण बहुत जरुरी है. मटर के पौधों पर 2-3 पत्ते आने के बाद पहली नराई/गुड़ाई कर दें. दूसरी नराई/गुड़ाई फूल निकलने से पहले कर देनी चाहिए .
इस प्रकार करें सिंचाई
मटर की बुवाई करने से पहले सिंचाई करना बहुत जरुरी होता है. यदि आप धान के खेत में मटर की बुबाई कर रहे तो उसमें पहले से ही पर्याप्त मात्रा में नमी रहती है तो बिना सिचाई के बुबाई की जा सकती है. मटर की फसल को अधिक सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है. प्रारंभ में मिट्टी की नमी और शीत ऋतु की वर्षा के आधार पर 1-2 सिंचाइयों की जरुरत होती है. पहली सिंचाई फूल आने के समय और दूसरी सिंचाई फलियां बनने के समय की जाती है. किसान भाई इस बात का भी ध्यान रखे की खेत कि हल्की सिंचाई करें और फसल में पानी ठहरा न रहे.
फसल की कटाई का समय
गहरा हरा रंग होने पर मटर की फलियों की तुड़ाई करनी चाहिए. 7 से 10 दिनों के अंतराल पर 4 से 5 तुड़ाइयां की जा सकती हैं. इसके अतरिक्त फसल का उत्पादन मिट्टी की उपजाऊ शक्ति औऱ खेत में इसके प्रबंधन पर निर्भर करती है.
मटर की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि मटर की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Peas) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.
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