Dragon Fruit Farming – जीवन में सफल होने की अभिलाषा से हर व्यक्ति नए-नए प्रयोग करता है. किसी ने सच ही कहा है कि नए प्रयास ही जीवन में सफलता के मुकाम तक पहुंचते है. इसी तरह आजकल खेती में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे कृषि क्षेत्र को एक अलग ही पहचान मिल रही है. आज हम आपको एक ऐसी फसल बारे में बताने जा रहे है जोकि पारंपरिक खेती के मुकाबले अधिक मुनाफा देती है. जिसका नाम ड्रैगन फ्रूट है, ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हाइलोसेरेसुंडाटस है. इसकी खेती प्रमुख रूप से मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम जैसे देशों में की जाती है.
मौजूदा समय में भारत के विभिन्न प्रदेशों के किसानों में ड्रैगन फ्रूट की खेती के प्रति लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती ज्यादातर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हो रही है. बता दें कि ड्रैगन फ्रूट की तीन किस्मों पर शोध हो रहा है. हम आपको इस आर्टिकल के जरिये ड्रेगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) की पूरी जानकारी हिंदी में देंगे.
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable Climate for Dragon Fruit Cultivation)
इस फल को भारत के किसी भी पदेश में कर सकते है लेकिन बर्फ और जल भराव वाली जगहों को छोड़कर. इसकी खेती को सूर्य के प्रकाश की अधिक आवश्यकता नहीं होती है. जिन इलाकों में सूरज की रौशनी अधिक होती है वहाँ बेहतर उपज के लिए छायादार जगह में इसकी खेती की जा सकती है. इस फसल के लिए अधिकतम 50* सेन्टीग्रेड और न्यूनतम 10*C तापमान आवश्यकता होती है.
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Suitable Soil for dragon Fruit Cultivation)
ड्रैगन फ्रूट की खेती लगभग सभी तरह की मिट्टी में हो जाती है. लेकिन बेहतर जिवाश्म और जल निकासी वाली बलुई दोमट एवं चिकनी दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए बेहतर मानी गई है. ड्रेगन फ्रूट की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7 तक उपयुक्त माना जाता है.
ड्रेगन फ्रूट के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Dragon Fruit Farming)
खेत की अच्छी तरह से जुताई की जानी चाहिए ताकि मिट्टी में मौजुद सारे खरपतवार खत्म हो जाएं. जुताई के बाद कोई भी जैविक कंपोस्ट अनुपातनुसार मिट्टी में दिया जाना चाहिए.
ड्रैगन फ्रूट की प्रमुख किस्में (Major Varieties of Dragon Fruit)
ड्रेगन फ्रूट की प्रमुख तीन प्रकार की किस्में होती है जो निम्नवत है-
- सफ़ेद पिथाया (White Dragon Fruit)
- लाल पिथाया (Red Dragon Fruit)
- पीला पिथाया (Yellow Dragon Fruit)
इनमे प्रमुख किस्में – वालदीव रोजा, असुनता, कोनी मायर, डिलाईट, अमेरिकन ब्यूटी, पर्पल हेज़, ISIS गोल्डन यैलो, S8 शूगर, आउसी गोल्डन यैलो, वीयतनाम वाईट, रॉयल रैड, सिंपल रैड आदि प्रमुख किस्में है.
ड्रैगन फ्रूट के पौधे कहां मिलेंगे? (Where can I find Dragon Fruit Plants?)
किसान भाईयों ड्रेगन फ्रूट के पौधे बीज व कलम द्वारा तैयार किये जाते है.
बीज द्वारा तैयार पौध (Seedlings Prepared By Seed) – किसान भाइयों आप को बता दे कि बीज द्वारा तैयार पौधों के उगने से लेकर फल आने तक करीब 6 से 7 वर्ष लग जाते है, इसलिए बीज द्वारा पौध तैयार नहीं कर सकते हैं.
नर्सरी गराफ्टिंग पौध (Nursery Grafting Seedlings) – इस विधि में पौधे नर्सरी द्वारा तैयार किये जाते है. नर्सरी तैयार होने में तीन महीने का समय लग जाता है. एक हेक्टेयर ड्रेगन फ्रूट लगाने के लिए 10 मीटर x 10 मीटर आकार की नर्सरी में लगभग 1100 कलमों की रोपाई पर्याप्त होती है.
ड्रैगन फ्रूट के पौधे कैसे लगाएं? (How to Plant Dragon Fruit Plants?)
- ड्रेगन फ्रूट के पौधों को सपोर्ट की आवश्यकता होती है. इसलिए खेतों मे किसानों को पोल लगाने पड़ते है.
- सीमेंट कंक्रीट के 7.5 फीट लम्बे और 6 इंच के चौकोर आकार के खम्भे होने चाहिए. इन्हें भूमि में 1.5 से 2 फिट दबाना होगा.
- इस तरह एक हेक्टेयर में 1111 खम्भों का उपयोग किया जा सकता है.
- इन पिलर को 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर खेत में लगाना चाहिए.
- इन खम्भों के ऊपर 2 फुट व्यास की एक रिंग लगाईं जाती है.
- पौधे से पौधे की बीच की दूरी 8 से 8 फिट रखनी है.
- कतार से कतार की दूरी 12 से 12 फिट रखनी है.
- एक पोल के चारों और 4 पौधे लगाएं और ऊपर की और दिशा में बांध दें.
- इन खम्भों के सहारे 4500 पौधे लगाए जा सकते है.
- रोपण के बाद इन पौधों को खम्भे से बाँध देना चाहिए.
- जिससे पौधों खम्भे के सहारे अच्छी प्रकार बढ़ सके.
ड्रैगन फ्रूट के पौधे के लिए सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management for Dragon Fruit Plants )
ड्रेगन फ्रूट के पौधों को दूसरे पौधों की अपेक्षा कम पानी आवश्यकता होती है. यह उष्ण जलवायु वाला फल है. इसलिए इसकी जड़े जमीन में 15 से 30 सेमी० गहराई तक होती है. वर्षा के मौसम में ड्रेगन फ्रूट के पौधों को सिंचाई की आवश्यकता नही होती है. लेकिन अन्य मौसम में इसको नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है. अच्छी पैदावार लेने के लिए फूल आने से पूर्व सिंचाई नही करनी चाहिए. फूल व बनने के समय मृदा में पर्याप्त नमी होनी चाहिए. इसके लिए सिंचाई की बूंद-बूंद पद्धति उपयुक्त होती है.
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खाद व उर्वरक (Fertilizers and Fertilizers for Dragon Fruit Cultivation)
जिवाश्म तत्व पौधों की वृद्धि के लिए प्रमुख भूमिका निभाते हैं. प्रत्येक पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए 10 से 15 किलो जैविक कंपोस्ट/जैविक उर्वरक लगाना चाहिए. इसके बाद हर साल दो किलो जैविक खाद की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए. इन पौधों के समुचित विकास के लिए रासायनिक खाद की भी आवश्यकता पड़ती है. वानस्पतिक अवस्था में इसको लगने वाली रासायनिक खाद का अनुपात पोटाश:सुपर फास्फेट:यूरिया = 40:90:70 ग्राम प्रति पौधे होता है.
जब पौधों में फल लगने शुरू हो जाए तब कम मात्रा में नाइट्रोजन और अधिक मात्रा में पोटाश दिया जाना चाहिए ताकि पैदावार सही हो. फूल आने से लेकर फल आने तक यानि की फुल आने के ठीक पहले (अप्रेल), फल आने के समय( जुलाई – अगस्त) और फल को तोड़ने के दौरान ( दिसंबर) तक में इस अनुपात में रासायनिक खाद दिया जाना चाहिए : यूरिया:सुपर फास्फेट:पोटाश =50ग्राम:50 ग्राम:100 ग्राम प्रति पौधे. रासायनिक खाद प्रत्येक साल 220 ग्राम बढ़ाया जाना चाहिए जिसे बढ़ाकर 1.5 किलो तक किया जा सकता है.
ड्रैगन फ्रूट की खेती में कीट एवं रोग का प्रकोप
ड्रेगन फ्रूट की खेती में अन्य फसलों के मुकाबले रोग एवं कीटों का प्रकोप कम होता है. फिर भी इसमें एंथ्रेक्नोज रोग व थ्रिप्स कीट का प्रकोप देखा गया है. एंथ्रेक्नोज रोग के नियंत्रण के लिए मैन्कोजेब दवा के घोल का 0.25 प्रतिशत की दर से स्प्रे करें. थ्रिप्स के लिए एसीफेट दवा का 0.1 प्रतिशत की दर से छिड़काव करना चाहिए.
ड्रेगन फ्रूट की तुड़ाई (Dragon Fruit Plucking)
ड्रेगन फ्रूट के पौधे एक वर्ष में फल देना लगते है. मई और जून के महीने में ड्रेगन फ्रूट के पौधों पर फूल आना शुरू हो जाता है. परागन के बाद अगस्त से दिसम्बर के महीने में फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं. एक ऋतु में छः बार ड्रेगन फलों की तुड़ाई की जा सकती है. ड्रेगन फलों की तुड़ाई तब करे जब फलों का रंग चमकीले हरे रंग से बदलकर लाल रंग हो जाये. फलों की तुड़ाई दरांती या हाथ से की जाती है
ड्रेगन फ्रूट की उपज एवं भण्डारण
ड्रेगन फ्रूट की फसल से 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर पैदावर मिल जाती है.इसके एक फल का वजन करीब 350 ग्राम से 850 ग्राम होता है.
ड्रेगन फ्रूट के भण्डारण के लिए छिद्रित हवादार बैग में 8 डिग्री सेल्सियस पर 25 से 30 दिन तक किया जा सकता है. इसके अलावा ड्रेगन फ्रूट को 7 से 10 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं 85 से 90 प्रतिशत आपेक्षित आर्द्रता पर 45 दिन के लिए भंडारित किया जा सकता है.
आशा है आपको हमारे द्वारा दी गई Dragon Fruit Cultivation की यह जानकारी पसंद आई होगी. इसके अलावा ऐसी ही जानकारियों के लिए कृषि दिशा पर रोजाना विजिट करें.
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