Beetroot Cultivation :चुकंदर एक ऐसी मध्यम अवधि की कंदवर्गीय फसल है जिसको उगाकर किसान बेहद कम समय और कम लगात में तगड़ा मुनाफा कमा सकते है. बुवाई के 120 दिनों में चुकंदर की फसल पककर तैयार हो जाती है. जिससे प्रति हेक्टेयर 150 से 300 क्विंटल के हिसाब से पैदावार प्राप्त हो जाती है. बाजार में चुकंदर का भाव 20 से 50 रूपए तक में जाता है. ऐसी में चुकंदर की खेती (Beetroot Farming) किसानो के लिए बेहत आमंदनी का जरिया बन सकती है.
भारत में चुकंदर की खेती (chukandar ki kheti) उत्तराखण्ड, काश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में रबी के सीजन में की जाती है. जो किसान भाई चुकंदर की खेती करने का मन बना रहे हैं, उनको चुकंदर की खेती से बंपर पैदावार लेने के लिए स्थानीय मौसम, मिट्टी की गुणवत्ता, उन्नत किस्मो, उर्वरक की मात्रा आदि के बारे में विशेष ध्यान रखना होगा.
चुकंदर की खेती (Beetroot ki Kheti)
चुकंदर को अंग्रेजी में बीटरूट (Beetroot) कहते है जो एक कंदवर्गीय फसल है. जिसको बांग्ला में बीटा गांछा, हिंदी पट्टी में चुकंदर, गुजरात में सलादा, कन्नड़ भाषा में गजारुगद्दी, मलयालम में बीट, मराठी में बीटा, पंजाबी में बीट और तेलुगु में डंपामोक्का के नाम से जाना जाता है. जिसका उपयोग सब्जी और सलाद के रूप में बड़े पैमाने पर किया जाता है. चुकंदर का सेवन स्वस्थ के लिए बेहद लाभकारी है. क्योकि चुकंदर में अनेक प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते है जो खून की मात्रा बढ़ाने के साथ अन्य रोगों से निजात दिलाने में सहायक होते है. इसलिए बाजार में इसकी मांग हमेसा बनी रहती है, ऐसे में किसान भाई अगर चुकंदर की खेती करके अच्छी कमाई कर सकते हैं.
चुकंदर की खेती कैसे करें ?
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चुकंदर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
सामान्य ठंडी जलवायु चुकंदर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है हालांकि इसको गर्मियों के मौसम एवं पॉलीहाउस में पूरे साल उगाया जा सकता है. कृषि एक्सपर्ट के अनुसार पौधों के अच्छे विकास हेतु 18-21 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श माना गया है.
कैसी होनी चाहिए चुकंदर की खेती के लिए मिट्टी
चुकंदर को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन कार्बनिक पोषक तत्वों से भरपूर 6 से 7 P.H. मान वाली बलुई दोमट मिट्टी को बीटरूट कल्टीवेशन के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. खेत से उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि जलभराव की स्थिति इसके पौधों सड़ने लगते हैं.
चुकंदर की खेती के लिए कैसे करें खेत की तैयारी
चुकंदर की फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए गहरी जुताई करे ताकि पिछली फसल के अवशेष और खरपतवार नष्ट हो सकें. उसके बाद प्रति एकड़ 4 टन गोबर की खाद खेत में डालें. चुकंदर की बुआई से पहले अंतिम जुताई करके खेत को समतल कर लें. अगर आप मेड़ विधि से इसकी बुआई करना चाहते है तो उसके बाद 10 इंच ऊंची मेड़ बनायें.
चुकंदर की खेती के लिए उन्नत किस्में
बजार में चुकंदर की कई उत्तत किस्में मौजूद हैं, लेकिन जिन्हें अच्छा उत्पादन प्राप्त करने की दृष्टि से तैयार किया जाता है. इनमें डेट्रॉइट डार्क रेड, क्रिमसन ग्लोब, अर्ली वंडर, मिस्त्र की क्रॉस्बी, रूबी रानी, रोमनस्काया, एम.एस.एच.–102 आदि किस्मों को शामिल किया हैं.
चुकंदर की बुबाई
अच्छी पैदावार लेने के लिये चुकंदर की बिजाई दो विधियों से की जाती है, पहली छिटकवां विधि और दूसरी मेड़ विधि जो इस प्रकार है-
- छिटकवा विधि – इस विधि से चुकंदर की बुबाई करने के लिए तैयार खेत में क्यारियां बनाई जाती है जिनमें बीज को छिड़कना होता है. छिटकवां विधि से बुबाई हेतु प्रति एकड़ 4 किलो बीज की आवश्यकता होती हैं.
- मेड़ विधि – वहीं मेड़ विधि से चुकंदर की बुबाई के लिए 10 इंच की दूरी पर मेड़ या बेड बनाया जाता है. इन पर 3-3 इंच की दूरी रखते हुए मिट्टी में बीजों को लगाया जाता है.
क्या है चुकंदर बोने का सही समय
सामन्यतः अगस्त से नवम्बर के बीच किसी भी समय चुकंदर की बुवाई कर सकते है, लेकिन दक्षिण भारत में चुकंदर को जून से जुलाई के बीच भी बोया जाता है जबकि पहाड़ों पर इसकी सामान्य बुवाई फरवरी से मई के बीच बुवाई होती है. चुकंदर की बुवाई करते समय ध्यान रखें कि क्यारियों की दूरी 30 से 40 सेमी. और पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 15 से 20 सेमी. तथा बीज की गहराई 2 से 3 सेमी. से अधिक न हो. बुवाई करने के बाद तुरंत पानी लगा दें.
चुकंदर की खेती के लिए उवर्रक प्रबंधन
मिट्टी की उर्वरता शक्ति बरकरार रखने के लिए खेत में 10 से 5 टन गोबर की खाद, 50 किलो यूरिया, 70 किलो डी.ए.पी और 40 किलो पोटाश प्रति एकड़ खेत में डालें,
चुकंदर की फसल में सिंचाई
चुकंदर की फसल को अधिक सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है, आमतौर पर चुकंदर की पहली सिंचाई 15 दिनों बाद, दूसरी सिचाई 20 दिनों बाद करें. इसके बाद 20 से 25 दिनों के अंतराल में चुकंदर सिंचाई करनी चाहिए.
चुकंदर की फसल में खरपतवार प्रबंधन
चुकंदर एक कंदवर्गीय फसल है, जिसकी अच्छी पैदवार लेने के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करने की सलाह कृषि एक्सपर्ट द्वारा दी जाती है. क्योकि फसल में खरपतवार होने की स्थिति में फसल की ग्रोथ रुक जाता है. इसलिए खरपतवार पर नियंत्रण के लिए 25 से 30 दिनों बाद निराई-गुड़ाई करें.
चुकंदर के खेत में रोग और रोकथाम
देखा गया है कि चुकंदर की फसल में रोगों का प्रकोप कम देखा गया है. लेकिन लीफ स्पाट नामक रोग का प्रकोप होने पर
चुकंदर की फसल में दाग उभर आने से पैदावार प्रभावित हो सकती है. रोगों से प्रभावित फसल को रासायनिकों का उपयोग कर रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके अलावा रेड स्पाइडर, एफिड्स, फ्ली बीटल और लीफ खाने कीड़ों से बचाव के लिए 2 मिली मैलाथियान 50 ईसी प्रति 1 लीटर पानी का छिड़काव करे.
चुकंदर की खेती में लागत और कमाई
चुकंदर की बुआई के बाद कम से कम 2-3 महीने में चुकन्दर की औसतन 30-40 क्विंटल प्रति हैक्टेयर जड़ों की प्राप्ति हो जाती है. वहीं एक अनुमान के मुताबिक, एक हेक्टेयर में चुकंदर की फसल लगभग 250 से 300 क्विंटल चुकंदर का उत्पादन करती है.
चुकंदर की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि चुकंदर की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Beetroot) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.
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