चुकंदर की खेती / Beetroot Cultivation / Chukandar ki kheti : चुकंदर की खेती (Beetroot Farming) ठण्डे क्षेत्रों में की जाती है. भारत में चुकंदर की खेती (chukandar ki kheti) उत्तराखण्ड, काश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान व पंजाब के ठण्डे क्षेत्रों में रबी के सीजन में की जाती है. इस आर्टिकल के जरिये चुकंदर की खेती करने की सही और सटीक जानकारी लेकर आए हैं. अगर आप इस लेख में बताई बातों को ध्यान में रखकर चुकंदर की खेती करते हैं, तो आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है.

चुकंदर की खेती की पूरी जानकारी – Beetroot Farming in Hindi
चुकंदर (Beetroot) एक कंदवर्गीय फसल है. जिसका इस्तेमाल फल, सब्जी और सलाद के रूप किया जाता है. चुकंदर के बारे में एक कहावत मशहूर है ‘फल एक, गुण अनेक’. चुकंदर में आयरन भरपूर मात्रा पाया जाता है. इसके सेवन से शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है और इसके अंदर कैंसर रोधी क्षमता भी होती है. चुकंदर (chukandar) भारत के राज्यों में अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे – बांग्ला में बीटा गांछा, हिंदी पट्टी में चुकंदर, गुजरात में सलादा, कन्नड़ भाषा में गजारुगद्दी, मलयालम में बीट, मराठी में बीटा, पंजाबी में बीट और तेलुगु में डंपामोक्का के नाम से मशहूर है. इसके अलावा आप बैगन की खेती , Mirch ki kheti, Dragon Fruit ki Kheti, Strawberry ki kheti, Karela ki Kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
चुकंदर की खेती कैसे करें ? – Chukandar ki kheti in Hiindi
चुकंदर की खेती (chukandar ki kheti) के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
चुकंदर की खेती से उत्तम पैदावार लेने के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती करने के लिए भूमि का P.H. मान 6 से 7 के बीच होना आवश्यक है. खेत में जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि जलभराव की स्थिति इसके पौधों सड़ने लगते हैं. मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयोडीन, पोटेशियम, आयरन, विटामिन-सी, और विटामिन-B से भरपूर चुकंदर की खेती के लिए 18-21 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श माना गया है.
चुकंदर की खेती (Beetroot cultivation in India) के लिए सबसे अच्छा मौसम
देश की जलवायु के अनुसार चुकंदर की खेती (chukandar ki Fasal) करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर के पहले हफ्ते से लेकर जनवरी-फरवरी तक होता है. क्योंकि सर्दियों के मौसम में इसके पौधे तेजी से विकास करते हैं. चुकंदर की खेती ज्यादा गर्मी के मौसम में भूल कर भी न करे.हालांकि अधिक तेज़ ठंड और पाला इसकी पैदावार को प्रभावित भी कर सकता है.
चुकंदर की खेती के लिए उन्नत किस्में
बजार में चुकंदर की बहुत सारी उत्तत किस्में मौजूद हैं, लेकिन जिन्हें उत्पादन की दृष्टि से तैयार किया जाता है. इनमें डेट्रॉइट डार्क रेड, क्रिमसन ग्लोब, अर्ली वंडर, मिस्त्र की क्रॉस्बी, रूबी रानी, रोमनस्काया, एम.एस.एच.–102 शामिल हैं.
चुकंदर की फसल के लिए कैसे करें खेत की तैयारी?
चुकंदर की खेती करने से पहले खेत को कल्टीवेटर और रोटीवेटर के माध्यम से एक बार खेत की गहरी जुताई करें. इसके बाद खेती की 2-3 हल्की जुताई करने के बाद ही बीजों की बुवाई करें. अगर चुकंदर की फसल से अच्छी पैदावार लेना चाहते है तो खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 4 टन गोबर की खाद डालकर मिलाएं.
बुवाई की विधि
चुकंदर की बुबाई दो विधि से की जाती है इसमें पहली छिटकवा विधि और दूसरी मेड़ विधि है.
छिटकवा विधि – इस विधि के तहत क्यारी बनाकर बीजों को फेंक कर बुवाई की जाती है. इसके लिए प्रति एकड़ 4 किलो बीज लगता हैं.
मेड़ विधि – इस विधि के तहत 10 इंच की दूरी पर मेड़ बनाकर बीजों की बुवाई की जाती है. इसमें पौधे से पौधे की दूरी 3 इंच रखी जाती है. वहीं आधे सेंटीमीटर की गहराई पर बीज की बुवाई की जाती है
चुकंदर की खेती (chukandar ki kheti) में सिंचाई और उवर्रक प्रबंधन
चुकंदर की फसल के लिए सिंचाई की बहुत ज़्यादा सिंचाई जरुरत नहीं होती है. इसकी फसल के लिए हल्की सिंचाई
आवश्यकता होती है. फसल बोने के 15 दिनों में पहली सिंचाई और उसके 5 दिन बाद दूसरी बार सिंचाई कर देनी चाहिए यदि बरसात नहीं हो रही है तो 8-10 दिन के अंतराल में सिंचाई करें
चुकंदर की खेती (chukandar ki kheti) के लिए 50 किलो यूरिया, 70 किलो डी.ए.पी यानि डाई-एमोनियम फॉस्फेट और 40 किलो पोटाश प्रति एकड़ खेत में डाले.चुकंदर की खेती (chukandar ki kheti) के लिए 50 किलो यूरिया, 70 किलो डी.ए.पी यानि डाई-एमोनियम फॉस्फेट और 40 किलो पोटाश प्रति एकड़ खेत में डाले. अगर आप खेत में जैविक खाद डालते हो तो परिणाम अच्छे आते है. अगर आपके खेत में बोरॉन की कमी है तो पहले खेत की मिट्टी का परीक्षण करा लेना चाहिए. बोरॉन की कमी से पौधों की जड़ें कमज़ोर या टूटने लगती है. इससे बचने के लिए मिट्टी में बोरिक एसिड या बोरेक्स मिलाएं
रोग एवं कीट प्रबंधन कैसे करें
चुकंदर की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए 25 से 30 दिनों बाद निराई-गुड़ाई अवश्य कर देनी चाइये. अगर चुकंदर की फसल में रोग लग जाए तो उचित मात्रा में केमिकल का छिड़काव कर फसल को बचाया जा सकता है, रेड स्पाइडर, एफिड्स, फ्ली बीटल और लीफ खाने कीड़ों से बचाव के लिए 2 मिली मैलाथियान 50 ईसी प्रति 1 लीटर पानी का छिड़काव करके नियंत्रित करे. रोक नियंत्रित के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह जरूर ले. रोपण से पहले बीजों का सही बेहतर परिणाम देता है और कीट प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है
चुकंदर की खेती में लागत और कमाई
चुकंदर की बुआई के बाद कम से कम 2-3 महीने में चुकन्दर की औसतन 30-40 क्विंटल प्रति हैक्टेयर जड़ों की प्राप्ति हो जाती है. वहीं एक अनुमान के मुताबिक, एक हेक्टेयर में चुकंदर की फसल लगभग 250 से 300 क्विंटल चुकंदर का उत्पादन करती है.
अगर आपको Chukandar ki kheti (Beetroot Cultivation in Hindi) से संबन्धित अन्य जानकरी चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते है, साथ में यह भी बताएं कि आपको यह लेख कैसा लगा, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है आप इस आर्टिकल को शेयर करें.
Leave a Reply