Okra Cultivation Tips : भिंडी की खेती रबी और खरीफ दोनों मौसम में किसान कर सकते है, आपको किस मौसम मे भिंडी की उन्नत खेती करनी है उसी के हिसाब से भिंडी का बीज खरीदना होगा. जिससे भिंडी की बम्पर पैदावार मिल सके. वर्तमान समय में भिंडी का भाव भी ठीक-ठाक मिल रहा है. अगर आपको भिंडी की खेती से लाखों की कमाई करनी है तो आपको सिंचाई व्यवस्था, खाद-उर्वरकों का उपयोग, उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग, खरपतवार नियंत्रण के अलावा फसल की ठीक प्रकार से देखभाल करि होगी. जिससे कम खर्च में अधिक पैदावार और मुनफा मिल सकेगा. इसके अलावा पॉलीहाउस में भी भिंडी की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते है.
भिंडी की खेती (Lady Finger Farming) देश के सभी राज्यों में की जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराट्र, पश्चिमी बंगाल और उड़ीसा आदि राज्यों में इसकी खेत मुख्य रूप से की जाती है. अगर कृषि वैज्ञानिकों की मदद लेकर किसान भिंडी की खेती (Okra Cultivation) करते है तो अच्छी उपज लेकर अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते है. भिंडी की वैज्ञानिक तरीके से खेती किसे करें इससे सम्बंधित सभी जानकारी इस आर्टिकल के जरिये आप तक पंहुचा रहे है.
भिंडी की खेती(Bhindi Ki Kheti)
भिंडी सब्जियों में सबसे लोकप्रिय सब्जी है. जिसको इंग्लिश में ओकरा (Okra) और लेडी फिंगर (Lady finger) कहते है. भिंडी (Okra) में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज पदार्थों जैसे कैल्शियम, फास्फोरस के अतिरिक्त विटामिन ‘ए’, बी, ‘सी’, थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन भी प्रचूर मात्रा में पाए जाते है. जोकि यह स्वास्थ के लिए बहुत लाभदायक होते है. कम समय में अधिक मुनाफा देगी भिंडी की खेती (Ladyfinger Farming), फॉलो करें ये टिप्स.
भिंडी की उन्नत खेती कब और कैसे की जाती है
भिंडी की खेती कैसे की जाती है, बरसाती भिंडी की खेती, जनवरी में भिंडी की खेती कैसे करें, गर्मियों में भिंडी की खेती कैसे करें, अक्टूबर महीने में भिंडी की खेती, भिंडी की खेती का समय, भिंडी की खेती से कमाई आदि सवालों का जवाव इस प्रकार है –
भिंडी की खेती करने के लिए जलवायु
उष्ण और नम जलवायु भिंडी की खेती (Lady Finger Farming) के लिए श्रेष्ठ मानी गई है.बीज अनुकरण के लिए करीब 25 से 30 डिग्री से०ग्रे० तापमान उपयुक्त होता है वही अधिक तापमान फूल गिरने की वजह बन सकते है.
भिंडी की खेती करने के लिए मिट्टी
आमतौर पर भिंडी की खेती को सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन 6.0 से 6.5 पी एच मान तथा जैविक तत्वों से भरपूर अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी बढ़िया मानी गई है.
भिंडी की खेती के लिए भूमि की तैयारी
भिंडी की फसल (Lady Finger Crop) के लिए खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना कर भूमि को समतल कर लेना चाहिए. आखिर जुताई के समय 100 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से अच्छी सड़ी गोबर की खाद खेत में डालें.
भिंडी की खेती करने के लिए उन्नत किस्में
अच्छी उपज उन्नत किस्में पर भी निर्भर करती है. भारत के कृषि वैज्ञानिकों ने भिंडी की विभिन्न किस्मों Lady Finger Varieties) को विकसित किया है. इन किस्मों की खेती करने से किसान भाई अच्छी उपज ले सकते है. किसानो को अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के आधार पर भिंडी की किस्मों का चयन करना चाहिए.
- वर्षा उपहार (Varsha Uphaar)
- अर्का अभय (Arka Abhay)
- परभनी क्रांति (Parbhani Kranti)
- पूसा मखमली (Pusa Makhmali)
- पूसा सावनी (Pusa Sawani)
- वी.आर.ओ.-6 (VRO-6)
- हिसार उन्नत (Hisar Unnat)
- पूसा ए-4 (Pusa A-4)
बीज की मात्रा
बुवाई के लिए भिंडी के बीज की मात्रा को मौसम के आधार पर बिभजित किया गया है जो इस प्रकार है-
- वर्षा ऋतु (जून-जुलाई) में टहनियों वाली वैरायटी के लिए प्रति एकड़ 4-6 किलो बीज की जरुरत होती है.
- मध्य फरवरी तक प्रति एकड़ 15-18 किलो बीज की आवश्यकता होती है.
- मार्च में बिजाई के लिए प्रति एकड़ 4-6 किलो जरुरत होती है.
बीज का उपचार
बुबाई से पहले भिंडी के बीज को उपचारित करना चाहिए जिससे बीज अनुकरण शक्ति बढ़ जाती है. भूमि से पैदा होने वाली बीमारियों से बीज को बचाने के लिए भिंडी के बीज को 2 ग्राम कार्बेनडाज़िम घोल प्रति लीटर पानी में मिलाकर 5-6 घंटे डुबोकर छांव में सुखाकर तुरंत बिजाई कर दें.
भिंडी के बीज की बिजाई का समय
ग्रीष्मकालीन फसल के लिए भिंडी की बुवाई फरवरी-मार्च में तथा वर्षाकालीन फसल के लिए भिंडी की बुवाई जून-जुलाई में करें. यदि भिंडी की फसल लगातार लेनी है तो तीन सप्ताह के अंतराल पर फरवरी से जुलाई के मध्य अलग-अलग खेतों में भिंडी की बुवाई कर सकते है.
भिंडी की बुवाई का तरीका
भिंडी की बुवाई करते समय पंक्तियों से पंक्तियों का फासला 45 सैं.मी. और पौधे पौधे की दूरी 15-20 सैं.मी. तथा
1-2 सैं.मी. गहराई रखते हुए भिंडी के बीज को बोये. भिंडी के बीज को आप मशीन द्वारा या फिर गड्ढा खोदकर बिजाई कर सकते है.
भिंडी की फसल के लिए खाद और उर्वरक
भिंडी की खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत तैयार करते समय 15-20 टन गोबर की खाद एवं नत्रजन, स्फुर एवं पोटाश की क्रमशः 80 कि.ग्रा., 60 कि.ग्रा. एवं 60 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की दर से खेत में डालें.नाइट्रोजन की आधी मात्रा एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय खेत में डालें. नाइट्रोजन की शेष मात्रा को दो भागों में 30-40 दिनों के अंतराल पर देना चाहिए. अच्छी उपज के लिए बुबाई के 10-15 दिनों के बाद 19:19:19 की 4-5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें. अच्छे फूल और फल प्राप्त करने के लिए 00:52:34 की 50 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें. फूल बनने के समय 13:00:45 (पोटाश्यिम नाइट्रेट) की 100 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी का छिड़काव करें.
भिंडी की फसल में खरपतवार नियंत्रण
भिंडी की फसल में खरपतवार नियंत्रणके लिए बुबाई के 20-25 दिन बाद प्रथम निंदाई/गुडाई करनी चाहिए. खरपतवार की रोकधाम के लिए रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल अपने कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से करें.
भिंडी की फसल में सिंचाई
भिंडी की फसल की सिंचाई (Irrigation in okra crop) मार्च में 10-15 दिन, अप्रैल में 7-8 दिन और मई-जून में 5-6 दिन के अंतराल पर करते रहना चाहिए. वर्षा ऋतू के समय फसल की आवश्यकतानुसार सिचाई करें.
भिंडी की फसल का संरक्षण
भिंडी की फसल में यलो वेन मोजैक वाइरस एवं चूर्णिल आसिता तथा कीटों में मोयला, हरा तेला, सफेद मक्खी, प्ररोहे एवं फल छेदक कीट, रेड स्पाइडर माइट रोगो का प्रकोप मुख्य रूप से होता है. इस रोगो और कीटों से वचाव के लिए आप अपने क्षेत्र के कृषि विशेषज्ञों की सलाह से रासायनिकों को छिड़काव करें.
भिंडी की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि भिंडी की उन्नत खेती कैसे करें (How to cultivate Lady Finger) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.