Bathua ki Kheti (Bathua Farming In India): बथुआ की खेती (Bathua Cultivation) करना अन्य फसलों की तुलना में आसान है. यह कम लगत और कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की श्रेणी में आती है. ठंडों में बथुआ की डिमांड बहुत अधिक होती है, जिसकी वजह से किसानो को इसकी फसल के अच्छे भाव भी मिल जाते है. इस फसल से कमाई देख किसान इसकी फसल को करने के लिए प्रेरित हो रहे है. अगर आप बथुआ की खेती (Cultivation of Bathua) करना चाहते है तो आप इस आर्टिकल को जरूर पढें ताकि बथुआ की खेती से सम्बंधित सभी जानकारी प्राप्त कर सके. इसकी खेती से और कोई जानकारी चाहते है तो आप हमे कम्मेंट कर सकते है. तो चलिए जानते है बथुआ की खेती कैसे करें. जानें Bathua Ke Fayde
बथुआ को कई अलग अलग नामों से जाना जाता है. बथुआ को अंग्रेजी में व्हाइट गूसफुट (White Goosefoot) या लैम्ब क्वार्टर (Lamb’s Quarters), चिल्लीशाक और बथुआ साग के नाम से जाना जाता है. जबकि वैज्ञानिक नाम चेनोपोडियम एल्बम (Chenopodium Album)
बथुआ की खेती कैसे करें – Bathua ki Kheti in Hindi
बथुआ अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. अगर किसान इसकी खेती को सूझबूझ से करें तो यह लाखों रुपये की कमाई भी करा सकता है. बथुआ की खेती की पूरी जानकारी नीचे दी गई है.
बथुआ की खेती के लिए जलवायु
बथुआ को ठण्ड के मौसम में उगाया जाता है क्योकि यह ठंढ के लिए काफी सहनशील है. अधिक तापमान होने पर इस पर जल्दी फूल लग जाते है. इसकी खेती के लिए औसतन तापमान 05-30°C के बीच होना चाहिए.
बथुआ की खेती के लिए मिट्टी
बथुआ की खेती सभी प्रकार की मिट्टी की जा सकती है परन्तु बलुई दोमट और दोमट इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. बथुआ की खेती के लिए 4.5-8.3 पीएच मान की आवश्यकता होती होती है.
बथुआ की नयी किस्म
बथुआ की मुख्यतः तीन किस्म पाई जाती है जिनमें चेनोपोडियम एलबम, विरिडी व चेनोपोडियम गिगेंटम परप्यूरियम. इनके अलावा ICAR, नई दिल्ली ने बथुआ की उन्नत किस्म पूसा बथुआ नं.1 विकसित किया है. इस किस्म के पौधों का रंग हरा व वैगनी होता है. यह बुवाई के करीब 40-50 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाता है. करीब 150 दिनों में इसकी फसल तैयार हो जाती है.
बथुआ की खेती के लिए खेत कैसे तैयार करें
बथुआ की बुवाई के लिए खेत की प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें ताकि पुरानी फसल के अवशेष और खरपतवार नष्ट हो जाये. इसके बाद खेत की 2-3 आड़ी-तिरछी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर समतल कर लें. इसके बाद बथुआ की बुवाई कर दें.
बथुआ की बुवाई कब करें
बथुआ की बुवाई का सबसे उचित समय मध्य सितम्बर से अक्टूबर का महीना माना जाता है. इस महीने में बथुआ की बुवाई कर आपको इसकी अच्छी कीमत मिल सकती है.
बथुआ की बुवाई के लिए बीज की मात्रा
बथुआ की बुवाई के लिए एक से डेढ़ किलो बीज प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यकता होती है.
कैसे करें बथुआ की बुवाई
बथुआ के लिए तैयार खेत में बथुआ की बुवाई छिड़काव विधि या मशीन से कर सकते है. छिड़काव विधि से बथुआ की बुवाई करने के लिए इसके बीजों को मिट्टी या गोबर के खाद में मिलकर 5-10 मिलीमीटर गहराई में बो सकते हैं.
बथुआ की फसल के लिए खाद और उर्वरक
बथुआ की फसल के लिए खेत तैयार करते समय 15-20 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद डालें. रासायनिक खाद में एन: पी: के 50०:50:50 किग्रा/हेक्टेयर की दर से खेत में डाले. बथुआ के पत्तों की पहली, दूसरी और तीसरी कटिंग के बाद तीन विभाजित खुराकों में टॉप-ड्रेसिंग के रूप में 50-60 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें. कटाई के लिए पत्तियों की जल्दी विकास के लिए प्रत्येक कटाई के बाद 1% यूरिया और 0.5% माइक्रोन्यूट्रीएंट्स घोल (मल्टीप्लेक्स) लगाएँ
बथुआ की खेती में कैसे करें सिंचाई
बथुआ की बुवाई के तुरंत बाद खेत में सिचाई करें. बथुआ की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है. बथुआ की बुवाई से लेकर कटाई तक 3-4 बार सिंचाई की ज़रूरत होती है. आवश्यकतानुसार खेत की सिचाई करें.
बथुआ की कटाई?
बथुआ के बीज की बुवाई के लगभग 40-45 दिनों बाद बथुआ कटाई के लिए तैयार हो जाती है. हर 10 से 15 दिन के बाद आप इसके पत्तों की कटाई कर सकते है. लेकिन जब इसमें फूल आना शुरू हो जाये तो इसकी पत्तियों की कटाई ना करें, क्योंकि तब इसमें बीज बनने लगते हैं.
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