Linseed Farming : अलसी रबी सीजन की तिलहन फसल है जिसकी कम संसाधानों में खेती (Lineseed Cultivation) कर किसान तगड़ा मुनाफा कमा सकते है. अलसी के दानो से निकलने वाले तेल का व्यापारिक दृष्टि से बहुत महत्व है क्योकि अलसी का तेल रंग, पेन्ट्स, वार्निश और छपाई के लिये उपयोग में लाई जाने वाली स्याही को तैयार करने के लिये किया जाता है, इसके अलावा अलसी तेल का इस्तेमाल सुगंधित तेल, दीपक जलाने, और अन्य औषधियाँ बनाने में भी किया जाता है. अलसी की खली पशुओं का उत्तम पशु आहार होने के अलावा इसका उपयोग खाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. इसी वजह से असली की मांग बाजार में अधिक बनी रहती है ऐसे में linseed cultivation करना किसानो के लिए फायदे का सौदा हो सकती है.
अलसी की खेती (Alsi ki kheti)
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, उड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, नागालैंड, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों के किसान अलसी की उन्नत खेती करके तगड़ा मुनफा कमा रहे है. अलसी को स्थानीय अलसी (हिंदी, पंजाबी, गुजराती), जवास/अतासी (मराठी), तिशी (बंगाली), अगासी (कन्नड़), अविसेलु (तेलुगु), पेसी (उड़िया), अली विदाई (तमिल) , चेरुचना विथु (मलयालम) नाम से जाना जाता है. अगर आप भी अलसी की खेती खेती करके बढ़िया मुनाफा कामना चाहते है तो आपको इसकी खेती करने का तरीका सीखना होगा.
कब और कैसे अलसी की खेती
रबी मौसम में उगायी जाने वाली तिलहनी फसलों में से एक है अलसी की फसल. प्रायः इसकी खेती असिंचित दशा में भी की जा सकती है लेकिन एक दो सिचाई कर इसकी खेती से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. अगर आप भी अलसी की खेती करना चाहते है तो आपको नीचे दी गई जानकारी को जरूर पढ़ना चाहिए.
जलवायु
सर्दियों का मौसम अलसी की खेती (Lineseed Farming) के लिए सबसे उत्तम मना जाता है, बीज अंकुरण के लिए 25 से 30 सेल्सियस तथा फसल के अच्छे विकास हेतु 15 से 20 सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है.
कैसी होनी चाहिए मिट्टी
कृषि जानकारों के अनुसार 6.5 से 7.5 के बीच पी एच मान वाली दामोट मिट्टी उपयुक्त मानी होती है. फसल को नुकसान से बचाने के लिए खेत से उचित जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
ऐसे करें खेत की तैयारी
अलसी की उन्नत खेती के लिए खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर समतल कर लें. ध्यान रहें कि अलसी की बुवाई से पहले खेत पूरी तरह खरपतवार रहित और खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए.
अलसी की उन्नत किस्में
भरत के विभिन्न क्षेत्रों में उगाई जाने वाली अलसी की उन्नत किस्में इस प्रकार है –
- उत्तर प्रदेश – नीलम हीरा, मुक्ता, गरिमा, लक्ष्मी 27, टी 397, के. 2, शिखा, पद्मिनी
- पंजाब, हरियाणा – एल.सी. 54. एल.सी. 185 के. 2. हिमालिनी, श्वेता, शुभ्रा
- राजस्थान – टी. 397, हिमालिनी, चम्बल, श्वेता, शुभ्रा, गौरव
- मध्य प्रदेश – जे.एल.एस. (जे) 1, जवाहर 17, जवाहर 552, जवाहर 7, जवाहर 18, टी. 397, श्वेता, शुभ्रा, गौरव, मुक्ता
- बिहार – बहार टी. 397, मुक्ता, श्वेता, शुभ्रा, गौरव
- हिमाचल – हिमालिनी, के. 2, एल.सी. 185
बुवाई का समय
फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए समय पर अलसी के बीज की बुवाई करनी चाहिए, कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अक्टूबर से नवंबर का पहला सप्ताह अलसी की बुवाई के लिए सबसे बढ़िया समय माना गया है.
बुवाई का तरीका
अलसी की बुवाई छिड़काव विधि या मशीन के द्वारा पंक्तियों में कर सकते है. अलसी की बुवाई के समय ध्यान रखना चाहिए कि कतार से कतार के बीच की दूरी 30 सेंमी, पौधे से पौधे की दूरी 5 से 7 सेंमी तथा 3 से 4 सेंमी की गहराई रखते हुए अलसी के बीज की बुआई कर देनी चाहिए.
बीज की मात्रा एवं उपचार
अलसी की एक एकड़ फसल की बुवाई के लिए 12 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है. अगर बीज घर पर बनाया है तो अलसी की बुवाई से पहले बीज को मेंकोजेब या बाविस्टिन या थीरम 2 ग्राम के साथ प्रति किलो के हिसाब से बीज को उपचारित करें.
ऐसे डालें खाद एवं रासायनिक उर्वरक
अलसी की खेती के लिए खेत तैयार करते समय 5-6 क्विंटल गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट प्रति एकड़ के हिसाब से डालें. रासायनिक उर्वरक के रूप में 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश की मात्रा क्रमश: 80, 40 और 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है, जिसमें से नाइट्रोजन की आधी मात्रा फॉस्फोरस और पोटाश की की पूरी मात्रा बुआई के समय खेत में डालें. नाइट्रोजन की शेष मात्रा को पहली सिंचाई के समय खड़ी फसल में देना होगा.
अलसी सीड खेती में कीट और रोग
अलसी की फसल पर मुख्य रूप से रस्ट, फुसैरियम विल्ट, सीडलिंग ब्लाइट और रूट रॉट, पस्मो, एस्टर येलो, और पॉसी मिल्ड्यू का प्रकोप रहता है. इन कीट व बीमारियों पर नियंत्रित पाने के लिए आप अपने नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क कर सकते है.
खरपतवार नियंत्रण
अच्छा उत्पादन लेने लिए अलसी की फसल में खरपतवार नियंत्रण बेहद आवश्यक है क्योकि खरपतवार होने की स्थिति में फसल का विकास रुक जाता है.
ऐसे करें सिचाई
अलसी के बीज का अच्छे से अंकुरण नहीं हो जाता जब तक खेत में पर्याप्त नमी बनाये रखें. फूल और दाना बनते समय खेत में पानी की उचित व्यवस्था रही चाहिए. अलसी की सिचाई मिट्टी और जलवायु के अनुसार समय समय पर करते रहे.
फसल की कटाई (Harvesting Flax Seed Crop)
अलसी की फसल बुवाई के करीब 120 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. अलसी की फसल 75-80% भूरे रंग की हो जाये तब ही अलसी की कटाई करें.
अलसी से पैदावार
अलसी की फसल से पैदावार सिंचित खेती में 12-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा असिंचित खेती में 6-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है.
अलसी की खेती कब और कैसे करें इसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है, हम उम्मीद करते है कि अलसी की उन्नत खेती कैसे करें (How to do Lineseed Farming) से संबंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आई होगी. यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है.