Aloo ki kheti (Potato Farming): आलू की खेती (Potato Cultivation) देश के लगभग सभी राज्यों में की जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश में आलू की खेती (Potato Cultivation) सबसे अधिक की जाती है. रबी के मौसम की जाने वाली यह एक कंदवर्गीय सब्जी की खेती है. जिसका उत्पादन की दृष्टि से विश्व में तीसरा स्थान है. इस आर्टिकल के जरिये जानते है कि आलू की खेती कैसे करें?. जाने aalu khane ke fayde

आलू की खेती कैसे करें ? – Aloo ki kheti in Hindi
आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. आलू को किसी भी सब्जी के साथ बनाया जा सकता है. इसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व विटामिन सी, बी, मैंगनीज, कैल्शियम, फासफोरस और आयरन प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. आलू शरीर के लिए लाभदायक है उतना ही हानिकारक है. इसके सेवन से शरीर में चर्बी बढ़ने जैसी समस्या हो सकती है.
आलू की खेती की पूरी जानकारी – Potato Farming in Hindi
आलू की खेती के लिए जलवायु | Climate Information for Potato Cultivation
आलू की खेती (aaloo ki kheti) के लिए ठंड का मौसम यानी रबी का सीजन सबसे उपयुक्त मना गया है. आलू की खेती के लिए दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. कंद बनने के समय 20 से 25 डिग्री सेल्सियस बीच तापमान होना चाहिए. तापमान कम या अधिक हो होने पर कंदों का विकास रूक जाता है.
आलू की खेती के लिए भूमि का चयन (Land selection for Potato Farming)
वैसे तो आलू की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में हो जाती लेकिन अच्छी जल निकासी वाली दोमट और बलुई दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 5.5 से 5.7 के बीच वाली मिट्टी को सबसे उपयुक्त मना गया है.
आलू की फसल के लिए खेती की तैयारी
- ट्रैक्टर चालित मिट्टी पलटने वाले डिस्क प्लाउ या एम.बी. प्लाउ से एक बार जुताई करें
- डिस्क हैरो से एक बार जुताई करने के बाद कल्टी वेटर से 2 जुताई एक साथ करें.
- आवश्यकतानुसार खेत की जुताई करें
- प्रत्येक जुताई के बाद पाटा जरूर चलाएं जिससे खेत की मिट्टी भुरभूरी समतल हो जाए. जिससे आलू के फलों का विकास तेज़ी होगा
आलू की बुआई का समय – Potato Planting Time
आलू की बुआई का समय आलू वेरायटी पर भी निर्भर करता है लेकिन अच्छी पैदावार लेने के लिए अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से लेकर नंबर के प्रथम सप्ताह तक आलू की बुबाई के लिए उपयुक्त समय मना गया है.
आलू के बीज का चयन
अगेती खेती के लिए:- यदि आप आलू की अगेती खेती करना चाहते है तो आप कुफरी पुखराज या कुफरी अशोका का चयन कर सकते हैं. यह प्रजातियाँ 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है. इनकी औसत उपज 200 से 350 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक होती है.
मध्यम खेती के लिए:- राजेन्द्र आलू-1, राजेंद्र आलू-2 राजेन्द्र आलू-3 और कुफरी कंचन जैसी किस्मों का चयन कर सकते हैं. ये वेरायटी 100 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है. इन प्रजातियाँ से 200 से 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज ली जा सकती है
पछेती खेती के लिए:- यदि आप आलू की पिछेती खेती करना चाहते है तो आप कुफरी सुंदरी, कुफरी अलंकार, कुफरी सफेद, कुफरी चमत्कार, कुफरी देवा और कुफरी किसान जैसी किस्मों का का चयन कर सकते हैं. ये वेरायटी 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है. इन किस्मों से 250 से 350 कुंतल प्रति हेक्टयर तक औसतन उपज ली जा सकती है.
चिप्स बनाने के लिए:- यदि आप आलू की खेती चिप्स बनाने के लिए कर रहे है तो आप कुफरी चिप्ससोना-1, कुफरी चिप्ससोना-2, कुफरी चिप्ससोना-3 और कुफरी आनन्द जैसी किस्मो का चयन कर सकते है. ये किस्में 100-110 दिनों में तैयार हो जाती है. इनसे 300 से 350 कुंतल तक उत्पादन लिया जा सकता है.
बीज का चयन करते समय रखे इन बातों का ध्यान
आलू की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए अच्छे बीज का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण है. आलू के बीज का चयन करते समय निम्निलिखित बातों का ध्यान रखे.
- आलू के बीज को सदैव विश्वसनीय स्रोतों जैसे – सरकारी बीज भंडार, राज्य के कृषि और उद्यान विभाग, राष्ट्रीय बीज निगम, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र या क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र से ही खरीदें.
- इसके अतरिक्त किसान भाई खुद के उत्पादित बीज या प्रगतिशील किसान से ख़रीदा हुआ बीज ही प्रयोग में लायें
- आलू के बीज को 3 से 4 साल के बाद जरूर बदल दें.
- आलू के बीज का चयन हमेसा बाजार में मांग एवं जलवायु के अनुसार ही करें.
- आलू के बीज की गोलाई 2.5 से 4 सेंटीमीटर और वजन 25 से 40 ग्राम होना चाहिए.
आलू के बीज का उपचार कैसे करें
आलू की बुवाई से पहले बीज उपचार करना अत्यंत आवश्यक है. आलू के बीज को शीत भंडार से निकालकर फफूंद एवं बैक्टिरिया जनित छुआ-छुत रोगों से वचाव के लिए फफूंदनाशक एवं एन्टीवायोटिक दवा बीज को उपचारित करना चाहिए. आलू के बीज करने के लिए प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम इमिशान-6 तथा आधाग्राम यानि 500 मिलीग्राम स्ट्रोप्टोसाइक्लिन एन्टीवायोटिक दवा का पाउडर मिलाकर ड्राम, बाल्टी या नाद में घोल तैयार करे लें. तैयार घोल में आलू के बीज को 10 से 15 मिनट तक डुबोकर रखने के बाद आलू को निकाल कर त्रिपाल पर छायादार स्थान में फैला दें. आलू के बीज को उपचारित करने से आलू की सड़न रुक जाती है तथा अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है. ध्यान रखने वाली बात यह कि उपचारित बीज को 24 घंटे के अंदर बुआई कर दें.
आलू की बुआई विधि – Potato Sowing Method
- आलू की बुआई अन्य सब्जियों की फसल से एकदम अलग होती है.
- आलू की बुआई करते समय कतार से कतार और पौधा से पौधा की दूरी और गहराई का विशेष ध्यान रखें.
- आलू का बीज कम गहराई पर बोया जायेगा तो उसके सूखने की संभावना बानी रहेगी अगर बीज अधिक गहराई पर बोया जायेगा तो उसके सड़ने की भी संभावना रहेगी.
- आलू की बुआई करते समय कतार से कतार की दूरी 50 से 60 सेंटीमीटर तथा पौधा से पौधा की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखें.
- किसी भी ट्रैक्टर चलित मशीन से आलू की बुबाई कर सकते है
आलू की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Potato Field Weed Control)
आलू की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुबाई के वाद उचित मात्रा में पेंडामेथालिन का छिड़काव करे जिससे खरपतवार की मात्रा में कमी आएगी
आलू की खेती के लिए खाद और उर्वरक
आलू की फसल के लिए खेत तैयार करते समय खेत में 15 से 30 टन प्रति हेक्टेयर की दर सड़ी हुई गोबर की खाद डालें.
आलू की बुबाई के समय 100 किलोग्राम डी ऐ पी (DAP), 50 किलोग्राम यूरिया (Urea), 100 किलोग्राम पोटाश (Potash), 10 किलोग्राम जिंक सलफेट (Zinc Sulphate) 200 किलोग्राम एसएसपी का उपयोग प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें.
आलू की बुबाई के 12 से 15 दिनों बाद 25 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट और 8 किलोग्राम जायम प्रति एकड़ की दर से आलू के खेत में छिड़क दें.
आलू की बुबाई के 20 से 25 दिनों 50 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें.
बुवाई के 25 से 30 दिन बाद 1 किलोग्राम NPK 20:20:20 को 100 से 150 लीटर पानी में मिलाकर बाद प्रति एकड़ के हिसाब से फसल पर स्प्रे करे.
बुवाई के 50 से 55 दिन बाद NPK 0:52:34 और 250 ग्राम बोरोन , 250 मिली Dhanzayam Gold को 100 से 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से फसल पर स्प्रे करे
सिंचाई प्रबंधन
आलू की फसल (Aloo ki kheti) के लिए पानी की अधिक आवश्यकता नहीं होती है. आलू की फसल के बारें में कहा जाता है कि यह पानी पीता चाटता है. आलू की पहली सिचाई बुबाई के 15-20 दिनों के भीतर कर देनी चाहिए. पहली सिचाई करते समय ध्यान रखे कि मेड़ 2 से 3 इंच से ज्यादा नहीं डूबे. अन्य सिचाई 10-15 के अंतराल पर कर देनी चाहिए. खेती की मिट्टी एवं अनुभव के आधार पर सिचाई का अंतराल घटाया बढ़ाया जा सकता है
रोग नियंत्रण एवं फसल सुरक्षा
आलू की फसल में अगेती झुलसा, पछेती झुलसा रोग और लाही कीट का प्रकोप अधिक रहता है जिसकी वजह से फसल पूरी वर्वाद हो जाती है. इन हानिकारक कीट एवं रोग से वचाव के लिए उचित प्रबंध करना चाहिए.
आलू की फसल को इन हानिकारक रोगो के प्रकोप से बचाने के लिए इंडोफिल एम-45 या रीडोमिल का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर आलू के पौधों पर छिड़काव कर सकते है. फसल को लाही कीट से बचने के लिए इमिडाक्लोरपिड का 1 मिली लीटर प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़ाकाव करें
नोट – आप अपने स्थान और कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार रासायनिक दवाओं का चयन करें.
आलू की खुदाई – Harvest potatoes
आलू की खुदाई करने से करीब 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए उसके बाद आलू की पत्तियों को काट दें, जिससे आलू की त्वचा मजबूत हो जाएगी. किसी भी ट्रैक्टर चलित मशीन से आलू की खुदाई कर सकते है.
आलू का भंडारण और मार्केटिंग
यदि आपको आलू की फसल पर सही दाम मिल रहे है तो आलू भंडारण की कोई आवश्यकता नहीं है. लेकिन अधिक समय के लिए आलू का भंडारण शीत गोदामों में किया जाता है ताकि अच्छे दाम मिलने पर आलू की निकासी कर उसे बाजार में बेच सकें. इस तरह आप आलू की वैज्ञानिक खेती कर उचित मुनाफा कमा सकते हैं
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