एलोवेरा की खेती / Aloe Vera Farming / Aloe Vera ki kheti : एलोवेरा खेती / Aloe Vera Cultivation कैसे करें? यह प्रश्न किसानों के बीच हमेशा घूमता रहता है. किसानो के इसी प्रश्न के बारे में इस लेख के जरिये बात करेंगे. Aloe Vera Cultivation के लिए ज़रूरी जलवायु, खेती के लिए उपयोगी मिट्टी, खेती का सही समय, एलोवेरा खेती की तैयारी कैसे करें, ऐलोवेरा की उन्नत किस्में, सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन, रोग एवं कीट प्रबंधन कैसे करें, मार्केटिंग एवं लागत व कमाई आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किसान भाई इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढें. एलोवेरा की खेती करने के साथ-साथ Aloe Vera Juice ke Fayde की जानकारी प्राप्त कर सकते है.

एलोवेरा की खेती की पूरी जानकारी / Aloe Vera Farming
एलोवेरा फार्मिंग (Aloe Vera Farming) के जलवायु
एलोवेरा की खेती के लिए गर्म आर्द्र से शुष्क और गर्ग जलवायु उपयुक्त मणि गई है. इसकी खेती शुष्क क्षेत्रों से लेकर सिंचित मैदानी क्षेत्रों में की जा सकती है. इसकी खेती एक लिए औसत तापमान 20-22 डिग्री सेंटीग्रेड की आवश्यकता होती है. इसके अलावा आप Dragon Fruit ki Kheti, Strawberry ki kheti, Karela ki Kheti, Chukandar ki Kheti, Button Mushroom ki Kheti के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
एलोवेरा खेती के लिए उपयोगी मिट्टी
यह फसल किसी भी प्रकार की मिटटी में हो जाती है. लेकिन रेतीली मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी गई है.
इसके अलावा इसकी खेती काली मिट्टी में भी की जा सकती है. घृतकुमारी की खेती के लिए पीएच मान 8.5 से अधिक नहीं होना चाहिए और किसानो को जलभरव वाली मिट्टी में इसकी खेती करने से बचाना चाहिए.
ग्वारपाठा की खेती के लिए खेत तैयारी व खाद
किसान भाई सबसे पहले खेत की 2-3 बार जुताई कर लें. अंतिम जुताई के समय 10-15 टन गोबर की खाद डाल कर जुताई कर दे.
एलोवेरा की उन्नत किस्में / Improved Varieties of Aloe Vera
ग्वारपाठा की खेती के लिए हमेसा हाइब्रिड किस्मों का चुनाव करना चाहिए. क्योकि एलोवेरा हाइब्रिड किस्मों से पल्प की मात्रा अधिक प्राप्त होती है. भारत में ऐलोवेरा की कई उन्नत किस्में विकसित हो चुकी हैं. जैसे – आई.सी1-11271,आई.सी.-111280, आई.सी.-111269 और आई.सी.- 111273 का व्यावसायिक तौर पर उत्पादन किया जा सकता है। इन किस्मों में पाई जाने वाली एलोडीन की मात्रा 20 से 23 प्रतिशत तक होती है.
एलोवेरा की बुवाई का समय / Aloe Vera Sowing Time
वैसे तो इसकी खेती सर्दियों को छोड़कर साल भर की जाती लेकिन ऐलोवेरा के पौधे को जुलाई-अगस्त में लगाना ज़्यादा उचित होता है. इसके पौधों की रोपाई के लिए फरवरी-मार्च का महीना भी उपयुक्त माना गया है.
एलोवेरा की रोपण विधि / Aloe Vera Planting Method
- एलोवेरा के बेबी प्लांट 2 मीटर की दूरी पर लगाने होंगे
- हर केरी में भी 2 मीटर की दूरी होनी चाहिए
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
घृतकुमारी (ऐलोवेरा) की खेती के लिए मिट्टी में सदैव नमी होनी चाहिए. ऐलोवेरा में आप 10-15 दिनों में सिंचाई कर सकते हैं. गोबर की खाद का इस्तेमाल करने से पौधे की बढ़वार तेजी से होती है और किसान एक वर्ष में एक से अधिक कटाई कर सकता है.
नराई/गुड़ाई
अधिक उपज लेने के लिए बुबाई के एक महीने बाद पहली निकाई गुड़ाई कर देनी चाहिए. समय-समय पर खरपतवार निकालते रहना चाहिए. साल में 2-3 गुड़ाई कर देनी चाहिए.
एलोवेरा में रोग एवं कीट प्रबंधन कैसे करें
एलोवेरा की फसल में मैली बग आने का खतरा अधिक रहता है और बड़ी बीमारी पत्तियों पर दाग पड़ना. एलोवेरा निराई योजना के लिए0. 1% पैराथियान या 0.2% मैलाथियान के जलीय घोल का छिड़काव करना आवश्यक है.
एलोवेरा की उपज / Yield of Aloe Vera
इस की फसल से प्रति वर्ष एक एकड़ से 20000 कि०ग्रा० घृतकुमारी (ऐलोवेरा) प्राप्त किया जा सकता है.
एलोवेरा की खेती के लिए मार्केटिंग और लागत व कमाई
एलोवेरा एक नगदी फसल होने की वजह से इसकी खेती में अपार संभावनाएं हैं. इसकी खेती भारत के लगभग सभी राज्यों में होती है. पतंजलि, डाबर, बैद्यनाथ, रिलायंस कई बड़ी कंपनियां किसानों से सीधे ऐलोवेरा की फसल खरीद लेती हैं. कुछ ऐसी भी कंपनी जो एलोवेरा की खेती के लिए किसानों से अनुबंध करती है, वे पौधे मुहैया करवाने के बाद खेत पर पहुंचकर फसल की उपज खरीदी भी करती है. ये कंपनियां किसानों को एलोवेरा के लिए मार्केट उपलब्ध भी करवा रही है.
ऐलोवेरा की खेती में लागत की बात करें तो लागत 50,000 प्रतिहेक्टेयर से शुरू होती है. इसकी मोटी पत्तियों की देश की विभिन्न मंडियों में कीमत लगभग 15,000 से 25,000 रुपए प्रति टन तक मिल जाती है जिससे किसान मोटी कमाई कर सकता है. लेकिन पल्प निकालकर बेचने पर किसानों को 4 से 5 गुना ज्यादा मुनाफा सकता है
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